बांग्लादेश: यूनुस ने भारत से तीस्ता जल संधि पर विवाद सुलझाने का किया आग्रह

punjabkesari.in Friday, Sep 06, 2024 - 02:28 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्क. बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि अंतरिम सरकार भारत के साथ तीस्ता जल बंटवारा संधि पर लंबित मुद्दों को सुलझाने के तरीकों पर काम करेगी। इस मुद्दे को वर्षों तक टालने से किसी को फायदा नहीं होगा। यूनुस ने ढाका में पीटीआई से बातचीत में कहा कि जल बंटवारे के मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार हल किया जाना चाहिए। बांग्लादेश जैसे निचले तटवर्ती देशों के विशिष्ट अधिकार होते हैं, जिन्हें वे बनाए रखना चाहते हैं।

यूनुस ने कहा- हम इस मुद्दे को हल किए बिना आगे नहीं बढ़ सकते। भले ही मैं खुश न भी होऊं और हस्ताक्षर कर दूं, लेकिन मुझे पता होना चाहिए कि हमें कितना पानी मिलेगा। इस मुद्दे को सुलझाना जरूरी है। नई सरकार इस पर काम करेगी और दोनों देशों को मिलकर समाधान निकालना होगा।

बता दें भारत और बांग्लादेश ने 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ढाका यात्रा के दौरान तीस्ता जल बंटवारे पर समझौते पर हस्ताक्षर करने की योजना बनाई थी, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने राज्य में पानी की कमी का हवाला देते हुए इसका समर्थन करने से इनकार कर दिया था। यूनुस ने बताया, "यह कोई नया मुद्दा नहीं है, बल्कि बहुत पुराना है। हमने इस मुद्दे पर कई बार बातचीत की है। यह वार्ता पाकिस्तान के शासन के दौरान शुरू हुई थी। भारत सरकार भी इस संधि को अंतिम रूप देने के लिए तैयार थी, लेकिन पश्चिम बंगाल की सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। हमें इसे हल करने की जरूरत है।"

उन्होंने दोहराया कि बांग्लादेश जैसे निचले तटवर्ती देशों के पास विशिष्ट अधिकार होते हैं, जिन्हें वे बनाए रखना चाहते हैं। हमें इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुसार हल करना होगा। निचले तटवर्ती देशों के पास कुछ अधिकार होते हैं और हम वे अधिकार चाहते हैं।

यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में जल संसाधन मामलों की सलाहकार सैयदा रिजवाना हसन ने हाल ही में कहा था कि सरकार तीस्ता जल बंटवारा संधि पर भारत के साथ बातचीत फिर से शुरू करना चाहती है।  ऊपरी तटवर्ती और निचले तटवर्ती देशों को जल बंटवारे पर अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों का पालन करना चाहिए।

बांग्लादेश में हाल में आई बाढ़ और भारत को इसके लिए दोषी ठहराने की रिपोर्टों पर यूनुस ने कहा कि जब तक संधि पर हस्ताक्षर नहीं हो जाते, तब तक ऐसे संकटों से निपटने के लिए मानवीय दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। हम बाढ़ की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बेहतर प्रबंधन पर काम कर सकते हैं। दो देशों के बीच समन्वय के लिए हमें किसी संधि की आवश्यकता नहीं है। हम मानवीय आधार पर मिलकर इस पर काम कर सकते हैं और इसका समाधान कर सकते हैं, जिससे आम जनता की पीड़ा कम होगी।

बांग्लादेश और ऊपरी भारतीय क्षेत्रों में मानसूनी वर्षा के कारण बाढ़ से कई लोगों की मौत हो गई है और लगभग 30 लाख लोग प्रभावित हुए हैं, जिससे हाल में बनी अंतरिम सरकार के लिए एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती उत्पन्न हो गई है। भारत ने बांग्लादेश से प्राप्त रिपोर्टों को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है, जिनमें कहा गया है कि त्रिपुरा में गोमती नदी पर बांध के द्वार खोले जाने के कारण बाढ़ आई है। भारत ने कहा कि साझा नदियों में आने वाली बाढ़ एक "साझा" समस्या है, जिसका समाधान दोनों देशों के सहयोग से किया जाना चाहिए।

सीमा पर हत्याओं के विवादास्पद मुद्दे पर बात करते हुए यूनुस ने इसकी निंदा की और कहा कि हत्या करना इसका समाधान नहीं है। उन्होंने बांग्लादेशी नागरिकों की कथित हत्याओं को "निष्ठुरता" बताया और कहा, "किसी की हत्या करना कोई समाधान नहीं है। इससे निपटने के लिए कानूनी तरीके होने चाहिए। यह एकतरफा कार्रवाई है। जिन लोगों की हत्या की जा रही है, वे सिर्फ संदेशवाहक हैं। यह क्रूरता है और इसे रोकना होगा।"

भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने बांग्लादेशी तस्करों और घुसपैठियों पर सीमा पार करने और भारतीय बलों पर हमला करने का आरोप लगाया है। भारत और बांग्लादेश की कुल 2,217 किलोमीटर की साझा सीमा है, जिसमें पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, मेघालय, असम और मिजोरम शामिल हैं।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Parminder Kaur

Related News