उल्टा चोर कोतवाल को डांटे ! बांग्लादेश ने भारत पर उठाई उंगली, उच्चायुक्त को किया तलब
punjabkesari.in Tuesday, Dec 23, 2025 - 06:42 PM (IST)
International Desk: भारत में बांग्लादेश के दूतावासों की सुरक्षा को लेकर चिंताओं के मद्देनजर बांग्लादेश में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को मंगलवार को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया। भारत में बांग्लादेशी दूतावासों की सुरक्षा को लेकर भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को तलब करना ढाका की दोहरी और अवसरवादी कूटनीति को उजागर करता है। जिस बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर लगातार हमले, हत्याएं और हिंसा हो रही है, वही देश भारत को कानून-व्यवस्था और दूतावास सुरक्षा पर उपदेश देता नजर आ रहा है। बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने 20 दिसंबर को नई दिल्ली और 22 दिसंबर को सिलीगुड़ी में हुई घटनाओं को लेकर भारत से जवाब मांगा है।बांग्लादेश सरकार ने भारत सरकार से इन घटनाओं की गहन जांच करने, इस तरह के कृत्यों की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सभी आवश्यक उपाय करने और भारत में बांग्लादेश के दूतावासों और संबंधित प्रतिष्ठानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आह्वान किया है।
लेकिन सवाल यह है कि क्या ढाका अपने ही देश में फैल रही अराजकता, भीड़ हिंसा और अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों को भूल गया है? गौरतलब है कि हाल के दिनों में बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हमलों, मंदिरों में तोड़फोड़ और हत्याओं की घटनाओं पर अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र तक सवाल उठा चुके हैं, लेकिन ढाका ने इन पर या तो देर से प्रतिक्रिया दी या फिर चुप्पी साध ली। इसके विपरीत, भारत में हुई सीमित घटनाओं को अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बनाने की कोशिश की जा रही है। भारत पहले ही 17 दिसंबर को ढाका में भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को लेकर बांग्लादेशी उच्चायुक्त को तलब कर चुका है और वहां हो रही हिंसक घटनाओं पर अपनी गंभीर चिंता दर्ज करा चुका है।
खासतौर पर शरीफ उस्मान हादी की हत्या और उससे जुड़े आरोपियों के भारत भागने की आशंका पर भी भारत से सहयोग मांगा गया था।विशेषज्ञों का कहना है कि बांग्लादेश सरकार आंतरिक अस्थिरता, चुनावी दबाव और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना से ध्यान हटाने के लिए भारत पर आरोप मढ़ने की रणनीति अपना रही है। यह वही स्थिति है जिसे हिंदी कहावत में कहा जाता है-“उल्टा चोर कोतवाल को डांटे।”भारत ने हमेशा कूटनीतिक मर्यादाओं का पालन किया है और दूतावासों की सुरक्षा सुनिश्चित करना उसकी अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारी है। लेकिन ढाका को भी यह समझना होगा कि विश्वसनीयता उपदेशों से नहीं, अपने घर की आग बुझाने से आती है।
