Ayushman Card: 80 लाख आयुष्मान कार्ड लाभार्थी को झटका: 650 अस्पतालों ने रोका गरीबों का इलाज

punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 02:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत सरकार की महत्वाकांक्षी 'आयुष्मान भारत योजना' जिसे प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के नाम से भी जाना जाता है, आज गंभीर संकट में दिखाई दे रही है - हरियाणा के निजी अस्पतालों ने इस योजना के तहत इलाज देना बंद कर दिया है। यह निर्णय मरीजों के लिए परेशानी का कारण बनता जा रहा है, खासकर उन लोगों के लिए जो पूरी तरह इस योजना पर निर्भर हैं।

क्या है मामला?
हरियाणा के अंबाला से लेकर कई जिलों तक निजी अस्पतालों ने ऐलान कर दिया है कि वे अब आयुष्मान कार्ड के जरिए मरीजों का इलाज नहीं करेंगे। इसका सीधा असर गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीने वाले लाखों परिवारों पर पड़ा है, जो मुफ्त इलाज की उम्मीद में अस्पताल का रुख करते हैं। इस कदम के पीछे सबसे बड़ा कारण है – सरकारी भुगतान में देरी। निजी अस्पतालों का कहना है कि इलाज के बाद उन्हें महीनों तक सरकार की तरफ से भुगतान नहीं मिलता, जिससे उनकी ऑपरेशन लागत और सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।  हरियाणा में इस योजना के तहत लगभग 70-80 लाख लोग इसके लाभार्थी हैं। इनमें से करीब 90% मरीजों को निजी अस्पतालों द्वारा इलाज और सेवाएं प्रदान की जाती हैं।

IMA ने क्यों उठाया यह कदम?
अंबाला इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के आयुष्मान प्रभारी डॉ. अशोक सरवाल ने बताया कि यह फैसला लाचारी में लिया गया है, विरोध में नहीं। उनका कहना है कि: "हम मरीजों से दूर नहीं होना चाहते, लेकिन जब हमें महीनों तक पेमेंट ही नहीं मिलती, तो हम कर्मचारियों, डॉक्टरों, बिजली, दवाइयों जैसे खर्च कैसे उठाएं?" उन्होंने बताया कि योजना की शुरुआत में सरकार ने वादा किया था कि इलाज का भुगतान 15 से 20 दिन में कर दिया जाएगा। लेकिन हकीकत में यह अवधि कई महीनों में तब्दील हो गई है। इससे अस्पतालों की वित्तीय हालत डगमगाने लगी है।

 कहां आ रही है दिक्कत?
स्पेशलिस्ट फीस: किसी भी ऑपरेशन या ट्रीटमेंट में शामिल डॉक्टरों को तुरंत भुगतान देना पड़ता है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर लागत: बिजली, ऑक्सीजन, दवा, उपकरण जैसी सुविधाओं का खर्च रोज़ाना चलता है।
सरकारी बिल अटके: अस्पतालों को लाखों रुपये तक की देनदारी सरकार से मिलनी बाकी है।

डॉ. सरवाल ने यह भी बताया कि आयुष्मान योजना के तहत मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही थी, लेकिन फंडिंग की अनुपलब्धता के कारण अस्पताल इस बोझ को और नहीं उठा सकते।

मरीजों की हालत गंभीर
इस अचानक आए फैसले से वो मरीज सबसे ज़्यादा परेशान हैं, जिनका इलाज चल रहा था या जिन्हें बड़ी बीमारियों के लिए भर्ती होने की जरूरत थी। कई मरीज अब सरकारी अस्पतालों की ओर रुख कर रहे हैं, लेकिन वहां भी अत्यधिक भीड़ और संसाधनों की कमी के चलते हालात चुनौतीपूर्ण हो गए हैं।

सरकार से अपील: जल्द करें समाधान
IMA और निजी अस्पतालों ने सरकार से अपील की है कि:
लंबित भुगतानों को तत्काल निपटाया जाए।
भुगतान प्रक्रिया को स्वचालित और समयबद्ध बनाया जाए।
अस्पतालों के साथ संवाद बढ़ाकर योजना की प्रभावशीलता को फिर से बहाल किया जाए।

 क्या है आयुष्मान भारत योजना?
शुरुआत: 2018, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
लाभ: 5 लाख रुपये तक का कैशलेस इलाज प्रति परिवार प्रति वर्ष
पात्रता: गरीब, कमजोर वर्गों के परिवार (SECC डेटा के आधार पर)
नेटवर्क: सरकारी और निजी अस्पतालों की भागीदारी

क्या खतरे में है योजना की साख?
यह घटना केवल हरियाणा तक सीमित नहीं रह सकती। अगर अन्य राज्यों में भी निजी अस्पताल इस तरह का निर्णय लेते हैं, तो यह देशव्यापी स्वास्थ्य संकट में बदल सकता है। आयुष्मान भारत जैसी योजना पर लोगों का भरोसा तभी बना रहेगा, जब लाभार्थी और सेवा प्रदाता दोनों को समय पर सहायता मिले।


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Content Writer

Anu Malhotra

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