आस्ट्रेलिया ने 3 माह में 80 फीसदी घटाया प्लास्टिक बैग का उपयोग, UNO की नजर भारत पर
punjabkesari.in Sunday, Jul 21, 2019 - 04:12 PM (IST)
इंटरनेशनल डेस्क (तनुजा तनु) आस्ट्रेलिया सरकार अपने नीतिगत व प्रभावी फैसलों के दम पर प्लास्टिक के उपयोग पर तेजी से बैन लगाने में सफल हो रही है । देश के नेशनल रिटेल एसोसिएशन की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल तीन महीनों में ऑस्ट्रेलिया ने अपने प्लास्टिक बैग के उपयोग में 80 प्रतिशत की कटौती की है। बेशक प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए भारत सरकार भी काफी लम्बे समय से कदम उठाती आ रही है लेकिन अब प्लास्टिक के खतरों को देखते हुए भारत को भी आस्ट्रेलिया जैसे प्रयासों के अनुसरण की जरूरत है। बड़ी बात यह है कि प्लास्टिक बैन को लेकर भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर संयुक्त राष्ट्र संघ भी लगातार नजर बनाए हुए है।
क्षेत्रीय प्रयास ज्यादा कारगार साबित
साल 2018 के अंत में ऑस्ट्रेलिया की दो सबसे बड़ी सुपरमार्केट चेन वूलवर्थ्स एंड कोल्स ने ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड और पश्चिमी ऑस्ट्रेलियाई राज्यों में अपने स्टोर में एकल उपयोग वाले प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया था। ऑस्ट्रेलिया ने अपने प्रथम चरण में राष्ट्रीय के बजाय क्षेत्रीय स्तर पर हल्के प्लास्टिक बैग पर रोक लगाई। 2018 में ही तस्मानिया और दक्षिण ऑस्ट्रेलिया ने प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया था और इस साल 2019 में विक्टोरिया में प्रतिबंध का फैसला किया गया। गौरतलब है कि न्यू साउथ वेल्स जो देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है, में प्लास्टिक बैन को लेकर सरकार को काफी मुश्किलों का सामना भी करना पड़ा ।
ग्राहकों के सहयोग से मिल रही सफलता
सुपरमार्केट चेन वूलवर्थ्स एंड कोल्स के प्रबंधकों ने बताया कि प्लास्टिक बैन को लेकर शुरू में इनकों ग्राहकों के विरोध का सामना भी करना पड़ा। यहां तक कि आक्रोश में आए एक ग्राहक ने प्लास्टिक बैग न मिलने पर उनके एक कर्मचारी को धमकी दी और उसे गले से पकड़ लिया। लेकिन धीरे-धीरे ग्राहकों ने एडजस्ट करना शुरू कर दिया व उनके सहयोग से प्रतिबंध सफल साबित हुआ । नेशनल रिटेल एसोसिएशन में उद्योग नीति के प्रबंधक डेविड रिटाउट ने कहा कि पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले 1.5 बिलियन बैगों पर प्रतिबंध के लिए सरकार के फैसलों पर अमल करना सबसे महत्वपूर्ण है । उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं के व्यवहार में बदलाव और इस पर्यावरणीय पहल को अपनाने के लिए वह दुकानदारों की सराहना करते हैं" ।
खुदरा विक्रेता कर रहे प्रोत्साहित
ऑस्ट्रेलिया ने प्लास्टिक के कचरे को रोकने में प्रतिबद्धता जाहिर की है। बड़े खुदरा विक्रेताओं ने लोगों को घर से बैग लाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बार-बार इस्तेमाल में लाई जाने वाली प्लास्टिक पर चार्ज लगाना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और नीदरलैंड समेत कई देशों ने एक बार यूज में आने वाले प्लास्टिक बैग पर पहले से ही प्रतिबंध लगा दिया है। ReuseThis Bag के की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 18 अफ्रीकी देशों समेत कम से कम 32 देशों में प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध है। जून 2018 में, चिली प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाला अमेरिका का पहला देश बन गया। कैलिफोर्निया और हवाई प्लास्टिक बैग पर प्रतिबंध लगाने वाले एकमात्र अमेरिकी राज्य हैं। हालांकि अमेरिका के कुछ राज्यों में अनिवार्य रीसाइक्लिंग या पुन: उपयोग कार्यक्रम चल रहा है।
केन्या में उल्लंघन करने वालों को जेल या मोटे जुर्माने की सजा
केन्या में इस बारे में शायद सबसे कड़ा कदम उठाया है। वहां प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों को चार साल की जेल या 39,000 डॉलर तक जुर्माना लगाया जाता है। कई देशों ने प्लास्टिक के खिलाफ लड़ाई में अन्य उत्पादों को भी टार्गेट किया है। एक अनुमान के अनुसार, 80 लाख टन प्लास्टिक हर साल हमारे महासागरों और जलमार्गों में डाला जाता है। अगर इस दर पर अगर प्लास्टिक का कचरा निकलता रहा, तो साल 2050 तक महासागरों में मछली की तुलना में प्लास्टिक अधिक होगी।
प्लास्टिक स्ट्रॉ का कचरा सबसे अधिक खतरनाक
पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार प्लास्टिक स्ट्रॉ पर्यावरण के सबसे बड़ा दुश्मन है। मरीन कंजर्वेशन सोसाइटी के मुताबिक, अकेले यूके में लगभग 8.5 अरब प्लास्टिक स्ट्रॉ का कचरा निकालता है। स्ट्रॉ अक्सर समुद्र में फेंक दी जाती है और अब समुद्र तटों पर पाए जाने वाले शीर्ष 10 अपशिष्ट वस्तुओं में से यह एक है। ताइवान, सिएटल और वैंकूवर सहित दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों और देशों ने प्लास्टिक स्ट्रॉ प्रतिबंध लागू किए हैं। भारत के 29 में से कम से कम 25 राज्यों में स्ट्रॉ की बिक्री को बैन किया गया है। अप्रैल में ब्रिटेन ने प्लास्टिक कचरे के खिलाफ एक अभियान का प्रस्ताव दिया था, जो प्लास्टिक, स्ट्रॉ और कॉटन स्वैब्स पर प्रतिबंध लगा सकता है। यूरोपीयन यूनियन ने हाल ही में प्लास्टिक बैन करने का प्रस्ताव दिया है। इसमें स्ट्रॉ सहित 10 वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो यूरोपीयन यूनियन के पानी और समुद्र तटों में सभी कूड़े का 70 फीसद है।
UNO की नजर भारत पर
वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम के अनुसार भारत में सालाना 56 लाख टन प्लास्टिक कूड़ा पैदा होता है । दुनिया भर में जितना कूड़ा सालाना समुद्र में डम्प किया जाता है उसका 60 प्रतिशत भारत डम्प करता है और भारतीय रोजाना 15000 टन प्लास्टिक कचरें में फेंक देते हैं। लेकिन प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए भारत सरकार काफी लम्बे समय से कदम उठाती आ रही है। इस मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ (UNO) ने भारत की तारीफ करते हुए कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण संबंधी समस्याओं से निपटने के लिए भारत ने जो नई पद्धति एवं कार्यप्रणाली अपनाई है वह सराहनीय है।
संयुक्त राष्ट्र के पर्यावरण कार्यक्रम के डिवीजन ऑफ कम्युनिकेशन्स एंड पब्लिक इन्फॉर्मेशन्स के कै कहना है कि भारत पर्यावरण प्रदूषण के मुद्दों से निपटने के मामले में बेहद जागरूक एवं कार्यशील है, इसके साथ-साथ उन्होंने भारत की ओर से इस चुनौती से पार पाने के लिए उठाए गए नवोन्मेषी कदमों की तारीफ भी की। बता दें कि भारत सरकार ने कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में प्लास्टिक प्रदूषण रोकने के लिए प्लास्टिक केरी बैग्स पर पूरी तरह रोक लगा रखी है।