भगवान राम ने भी इसी पवित्र स्थान पर किया था श्राद्ध, एक पिंडदान से ही पांच पीढ़ियों को मिल जाता है मोक्ष
punjabkesari.in Monday, Sep 08, 2025 - 05:19 PM (IST)

नेशनल डेस्क : इस साल पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हुआ है। पितृ पक्ष को सनातन धर्म में बहुत पवित्र समय माना जाता है। यह भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन अमावस्या तक चलता है। इस दौरान किए गए श्राद्ध और तर्पण से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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राजस्थान का पुष्कर सरोवर
अगर आप पितृ पक्ष में अपने पितरों की शांति के लिए किसी पवित्र स्थान की तलाश में हैं, तो राजस्थान का पुष्कर सरोवर सबसे खास माना जाता है। इसे मोक्षदायी तीर्थ कहा जाता है। मान्यता है कि यहां एक बार किया गया श्राद्ध और पिंडदान आपकी पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों को शांति प्रदान करता है। इसी वजह से पितृ पक्ष में यहां देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। भारत का यही एकमात्र तीर्थ है जहां सात कुल और पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है।
क्यों खास है पुष्कर सरोवर?
पुष्कर को 'तीर्थों का राजा' कहा जाता है। यह दुनिया का एकमात्र स्थान है जहां भगवान ब्रह्मा का मंदिर स्थित है। मान्यता है कि इस सरोवर का निर्माण ब्रह्मा जी के कमल से हुआ था। कुछ मान्यताओं के अनुसार यह भगवान विष्णु की नाभि से निकला पवित्र जल है। यही वजह है कि इसे अत्यंत पवित्र और मोक्षदायी माना जाता है। भारत का यही एकमात्र तीर्थ है जहां सात कुल और पांच पीढ़ियों तक के पूर्वजों का श्राद्ध किया जा सकता है। कहा जाता है कि भगवान राम ने भी अपने पितरों का श्राद्ध यहीं किया था।
श्राद्ध और पिंडदान का महत्व
पुष्कर सरोवर में 52 घाट हैं जहां श्रद्धालु श्राद्ध और पिंडदान के लिए आते हैं। मान्यता है कि इस जल में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और पितरों को शांति मिलती है। यहां का वातावरण आध्यात्मिक और पवित्र अनुभव देता है।