आखिर क्या है पॉलीग्राफ टेस्ट

punjabkesari.in Thursday, Jul 02, 2015 - 01:42 PM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता शशि थरूर की पत्नी सुनंदा पुष्कर के मर्डर केस के संबंध में उनका पॉलीग्राफ टेस्ट करने की खबरों के दौरान इस संबंधी और स्पष्टीकरण हासिल करने के लिए कुछ लोगों के साथ बातचीच की है, जो इस टेस्ट के प्रमाणिक हो और इस पर अमल बारे कुछ और जानकारी बताई जा सके। 


जानकारी के मुताबिक दिल्ली के फारटिस अस्पताल के डॉक्टर अनुराग मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस टेस्ट जिस को लाई डिक्टेटर टेस्ट भाव झूठ पकडऩे वाला टेस्ट भी कहा जाता है। जिसके चलते व्यक्ति के सच-झूठ की परख की जाती है। जिस दौरान उसके ब्लड प्रेशर, नब्ज और सांस संबंधी गतिविधियों पर विशेष ध्यान दिया जाता है। वहीं जांच की शुरूआत की जानकारी के बारे पूछे गए सवालों से ली जाती है ताकि इंसान को घबराहट या बैचेनी से मुक्त करवाया जा सके और फिर धीरे-धीरे उससे मुश्किल सवाल पूछे जाते है। 


अगर उसके जवाब के साथ-साथ पूछे गए पैमानों में तबदीली आती है। भाव ब्लड प्रेशर घटता या बढ़ता है या तेज होता है तो उसके जवाब को गलत माना जाता है, नहीं तो नहीं। आपको बता दें कि डा. मिश्रा ने बताया कि 1921 में कांड किए इस टेस्ट को भारत में मशहूर मुहावरों के साथ मिला कर देखा जा सकता है। जिसमें कहा गया है कि झूठ के पैर नहीं होते। हालांकि डा. मिश्रा ने भारत में इसकी कानूनी प्रमाणिकता पर सवाल करते हुए कहा कि पॉलीग्राफ टेस्ट की कानूनी मान्यता को प्रवाण नहीं किया गया है। 


बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने मई 2010 में दिए फैसले मुताबिक शक के घेरे में व्यक्ति का पॉलीग्राफ टेस्ट गैर-कानूनी और संविधान के खिलाफ माना जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर शशि थरूर की बात करें तो सियासी कारणों के चलते वह पॉलीग्राफ टेस्ट से इंकार नहीं कर सकते। ऐसा ही बयान उनके दफ्तर की तरफ से दिया भी गया, पर अभी तक पॉलीग्राफ टेस्ट करने के बारे उनको कोई सूचना नहीं मिली है।


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