देखें तस्वीरें, छोटे से गांव से निकलकर आज बनी देश की दूसरी मुस्लिम महिला IPS

punjabkesari.in Monday, Jun 22, 2015 - 11:57 AM (IST)

शिमला: मन में कुछ कर दिखाने का जब्जा हो तो इंसान दूसरों के लिए मिसाल कायम कर सकता है। यह कहना है देश की दूसरी मुस्लिम आईपीएस महिला अंजुम आरा का। आपको बता दें कि ये महिला शिमला में एएसपी की पोस्ट पर तैनात हैं।


अंजुम ने बताया कि जब उसने पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने पिता को आईपीएस बनने की इच्छा बताई तो उन्होंने अपनी बेटी अंजुम को वह सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जो उसका सपना साकार कर सकें। इतना ही नहीं जब अंजुम जहां आईपीएस की तैयारी कर रही थीं तो उधर उनके परिवार के सदस्य इससे खुश नहीं थे। रिश्तेदारों को तो उसका घर से निकलना तक गंवारा नहीं था। अंजुम कहती हैं कि उनके परिवार में आज भी पर्दाप्रथा (बुर्का) जारी है। लेकिन अंजुम के पिता ने उसका साथ दिया।


अंजुम ने कड़ी मेहनत और लगन से 2011 में आईपीएस का पेपर पास किया और उसकी नौकरी शिमला में लगी। वह अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने पिता को देती हैं। बताया जा रहा है कि इससे पहले मुंबई की सारा रिकावी ने पहली मुस्लिम महिला आईपीएस बनने का गौरव हासिल किया था।


लखनऊ की रहने वाली है अंजुम
बताया जा रहा है कि आईपीएस अंजुम आरा का जन्म लखनऊ के आजमगढ़ के छोटे से गांव कम्हरिया में हुआ। अंजुम के पिता अयूब शेख अभियंत्रण सेवा में कार्यरत है। जबकि माता गृहिणी है। अंजुम ने सहारनपुर के आर्य कन्या इंटर कालेज से हाईस्कूल व एचआर इंटर कालेज से इंटर की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। इसके बाद वह लखनऊ के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक की प्रथम श्रेणी में डिग्री हासिल की। उसने 2011 में आईपीएस के बैच की परीक्षा पास कर लक्ष्य को हासिल किया।


मणिपुर कैडर मिला था
अंजुम आरा की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन्हें मणिपुर कैडर मिला। कुछ समय वहां नौकरी करने के बाद उनकी तैनाती हिमाचल की राजधानी शिमला में बतौर एएसपी में हुई। अब वह यहां पर अपने पति व बच्चे के साथ रहती हैं। 


पति हैं आईएएस
बताया जा रहा है कि अंजुम के पति युनूस भी आईएएस अधिकारी हैं। शिमला में बतौर अतिरिक्त उपायुक्त (एडीसी) तैनात हैं। यह वही आईएएस हैं जिन पर सोलन के नालागढ़ में कुछ खनन माफिया ने ट्रैक्टर चलाने की कोशिश की थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News