मरने के लिए ''निर्भया'' ही क्यों? दरिंदों को भी दे दो मौत की सजा

punjabkesari.in Monday, May 18, 2015 - 05:28 PM (IST)

नई दिल्लीः अाज भी मौत के लिए भगवान ने मुझे ही चुना,क्यों ? क्या उन दरिंदों के लिए  भगवान के पास भी जगह नहीं जो मुझे बोटियों की तरह नोचते है। हर बार किसी की हवस की शिकार भी मैं हुई अौर मरना भी मुझे पड़ा तो  इंसाफ कैसे मिलेगा। 

ये अावाज है,''निर्भया'' की जो हर बार जिंदगी की जंग हार रही है। हैवान उसे इस कदर नोच लेते हैं कि वे दोबारा उठ कर उसका सामना करने के लिए जिंदा नहीं रहती। उसकी अांखों के बंद होने के साथ-साथ जुर्म करने वालों की फाईलें भी बंद हो जाती है। अगर किसी पर केस चलता भी है तो कई वर्षों तक लटकता रहता है अौर जेल में बंद अारोपी कहते है,चुप रहती तो बच जाती,फिर भी उन हैवानों को अाज भी फांसी की सजा नहीं दी जाती। वे अाज चाहे जेल में बंद है फिर भी अावाज बुलंद कर बोलते है लेकिन तिल-तिल मरते हैं वे जिन्होंने ''निर्भया'' को जन्म दिया।

जैसा कि  पिछले 42 साल से कोमा में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही अरुणा शानबाग ने अाज दम तोड़ दिया। अरूणा एक अस्पताल में नर्स के तौर पर काम करती थी जिसके साथ वहां के एक वॉर्ड ब्यॉय ने निर्ममता से बलात्कार किया था। घटना के बाद से ही बिस्तर पर पड़ी अरुणा बीते तीन दिनों से वेंटिलेटर पर थी।

ज्ञात हो 1973 में अस्पताल के एक कर्मचारी ने उनके साथ यौन हिंसा की थी। उस घटना के दौरान अरूणा के दिमाग को ऑक्सीजन न मिल पाने से वो कोमा में चली गईं थीं। उन्हें अस्पताल में ही भर्ती रखा गया और अस्पताल के स्टाफ़ ने ही उनकी चार दशक तक देखभाल की।

बलात्कार के दौरान अरुणा के गले में  बांध दी थी जंजीर

अरुणा को लकवा मार गया था और आंखों की रोशनी चली गई थी। वह बोल भी नहीं पाती थी। पिछले एक महीने से वह आईसीयू में भर्ती थीं। उसके बाद से उनकी तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई।   वार्ड  वॉय ने बलात्कार के दौरान अरुणा के गले में जंजीर बांध दी थी , जिसके दबाव से अरुणा के दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति रुक गई । इसी वजह से वह कोमा में चली गई। 

इच्छा मृत्यु की मांग 

अरुणा की दयनीय स्थिति को देखते हुए 2011 में उसके लिए इच्छा मृत्यु की मांग करते हुए एक याचिका भी दायर की गई थी, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकरा दिया था। अरुणा की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले दरिंदे का नाम सोहनलाल वाल्मिकी है जिसे कोर्ट ने सजा तो दी, लेकिन वह अरुणा के साथ किए गए अपराध के मुकाबले काफी कम थी। 

इच्छा मृत्यु की याचिका खारिज हुई तो अस्पताल में बांटी गई थी मिठाई

 1 जून को अरुणा का 68 वां बर्थडे आने वाला था। केईएम अस्पताल की नर्सों ने हर बार की तरह सारी तैयारियां कर ली थीं। अस्पताल में उनके कमरे की भी पुताई हो चुकी थी। लंबे समय तक अस्पताल में रहने से नर्सों का उनसे काफी लगाव हो गया था। सुप्रीम कोर्ट से अरुणा के लिए इच्छा मृत्यु मांगी गई तो सारी नर्सें दुखी हो गई थीं, लेकिन जब कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज की तो अस्पताल में उनकी सहेलियों ने खूब मिठाईयां बांटी और जश्न मनाया था।

ऐसे तबाह हुई अरुणा की जिंदगी

अरुणा के साथ यौन हिंसा करने वाला सोहनलाल वाल्मीकी हॉस्पिटल की डॉग रिसर्च लेबोरेटरी में काम करता था, उसे कुत्तों के लिए आने वाला मांस खाने की आदत थी। अरुणा ने उसे कुत्तों का खाना चुराने और खाने से रोका था जिस कारण वे अरुणा से चिढ़ने लगा था।  जब अरुणा  डयूटी खत्म कर कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम में गईं। सोहन वहां पहले से ही योजना बनाकर बैठा था, उसने अरुणा को दबोच लिया उसके साथ दुराचार किया। 

शादी की सेज नहीं मिला मौत का बिस्तर

अरुणा के साथ जब यह दरिंदगी हुई उससे पहले अरुणा शादी का निश्चय कर चुकी थी और जल्दी ही उसकी शादी होने वाली थी लेकिन इस घटना के बाद वह कभी भी बिस्तर से उठ नहीं हो सकी।  अस्पताल प्रबंधन ने अरुणा के साथ हुए यौन शोषण के मामले को कुछ और ही रूप दिया। अस्पताल के डीन ने डकैती और लूटपाट का केस दर्ज कराया। यौन शोषण के केस को दबाया गया , जिसके कारण सोहनलाल को सिर्फ सात साल की सजा हुई और उसके बाद वह आजाद हो गया, जबकि अरुणा 42 वर्षों तक उसके कुकर्म की सजा भोगती रही।

 दिल्ली कांड के बाद भी जीवन की जंग हार गई थी लड़की  

देशभर को झकझोर देने वाले 16 दिसंबर, 2012 के निर्भया कांड के बाद भी लड़की  मौत की अागोश में चली गई लेकिन कांड के अारोपी अाज भी जिंदा है अौर  अपनी घिनौनी मानसिकता जाहिर करते हुए कह रहा है कि उस रात को रेप के समय लड़की को हमारा विरोध नहीं करना चाहिए था। 

पंजाब का मोगा कांड

पंजाब के मोगा में भी लड़की को छेड़छाड़ का विरोध करने पर चलती बस से फैंक दिया गया जिसके बाद उसकी मौत हो गई थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News