जमानतनामा भरने में अक्षम आरोपियों को जेल में न रखें: न्यायालय

punjabkesari.in Saturday, Apr 25, 2015 - 02:24 PM (IST)

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि जेल से रिहाई में किसी भी व्यक्ति की गरीबी आड़े नहीं आनी चाहिए। किसी को जेल में इसलिए नहीं रखा जा सकता, क्योंकि वह गरीबी के कारण वह जमानतनामा भरने में असमर्थ है। न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर तथा न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित की सामाजिक न्याय पीठ ने कहा, ‘‘किसी आरोपी को हिरासत में रखने का कारण उसकी गरीबी नहीं हो सकती, जो जमानतनामा भरने में असमर्थ है।’’
 
पीठ ने कहा कि जमानत मिलने के बाद भी भारी संख्या में लोग जेल में बंद हैं, क्योंकि वे जमानतनामा भरने में असमर्थ हैं। न्यायालय ने राज्य विधिक सहायता अधिकारियों से कहा कि वे वकीलों से ऐसे लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए तत्काल आवश्यक आवेदन पत्र दाखिल करने के लिए कहें। 
 
न्यायालय ने उल्लेख किया कि केवल अकेले उत्तर प्रदेश में 530 आरोपी इसलिए हिरासत में हैं, क्योंकि वे जमानत की शर्तों पर खरा नहीं उतर पाए। न्यायालय का यह आदेश देश के 1382 जेलों में कैदियों की अमानवीय दशा पर सुनवाई के दौरान आई है। े में अक्षम आरोपियों को जेल में न रखें : न्यायालय

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