पंचायतों में ‘सरपंच पति’ संस्कृति समाप्त करें: मोदी

punjabkesari.in Saturday, Apr 25, 2015 - 03:37 AM (IST)

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचायतों में ‘सरपंच पति’ संस्कृति समाप्त करने का आह्वान करते हुए आज गरीबी उन्मूलन तथा शिक्षा के प्रचार-प्रसार में निर्वाचित ग्राम प्रतिनिधियों के लिए नेतृत्व वाली भूमिका की वकालत की। सरपंच पत्नियों के कामकाज में पतियों के कथित दखल के बारे में मोदी ने एक राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र किया। उनके अनुसार किसी ने उनसे कहा कि वह एस.पी. (सरपंच पति) है।  प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एस.पी. का काम चल रहा है। कानून ने महिलाओं को अधिकार दिए। जब कानून उन्हें अधिकार देता है तो उन्हें अवसर भी मिलना चाहिए। इस एस.पी. संस्कृति को खत्म करें। उन्हें (महिलाओं को) अवसर दिया जाना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए।’’
 
प्रधानमंत्री ने पंचायत स्तर पर नेतृत्व क्षमता विकसित करने, निरक्षरता तथा गरीबी मिटाने और पंचवर्षीय योजना तैयार करने का आज आह्वान किया। मोदी ने ‘अपना गांव अपना विकास’ का नया नारा बुलंद करते हुए पंचायतों से संकल्प लेने का आह्वान किया कि उनके कार्यकाल में कोई बच्चा स्कूल नहीं छोड़ेगा और वे कम से कम 5 परिवारों को गरीबी से मुक्ति दिलाएंगे। महात्मा गांधी को उद्धृत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत गांवों में बसता है। हमें यह सोचने की जरूरत है कि हमारे गांवों का विकास कैसे हो। यहां तक कि सुदूरवर्ती गांव में भी लोगों के बड़े सपने हैं। सोचिए कि अपने गांव के लिए आप अगले 5 साल में क्या हासिल कर सकते हैं।’’
 
पंचायतों में महिलाओं के आरक्षण की अवधि 10 साल होगी
सरकार पंचायती राज्य संस्थाओं में महिलाओं का आरक्षण मौजूदा 5 साल से बढ़ाकर 10 साल करने के राज्यों के एक सुझाव को स्वीकार कर सकती है। ग्रामीण विकास मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने आज यहां एक चर्चा के दौरान कहा कि राज्यों के कई प्रतिनिधियों ने सुझाव दिया है कि आरक्षण के आधार पर 5 साल के एक कार्यकाल के लिए पंचायती राज संस्थाओं में चुनी जाने वाली महिला सदस्य ज्यादा कुछ कर पाने में अक्षम रहीं। 
 
उन्होंने बताया कि ये सुझाव हैं कि वार्ड एवं ब्लॉकों में महिला सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाकर 10 साल (दो कार्यकाल) कर दिया जाए, ताकि वे लंबी अवधि के लिए योजनाएं तैयार कर सकें। सरकार सुझाव स्वीकार कर सकती है।

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