सरकार जाति, धर्म, रंग, नस्ल के आधार पर भेदभाव का समर्थन नहीं करती: राजनाथ

punjabkesari.in Wednesday, Apr 22, 2015 - 11:33 AM (IST)

नई दिल्ली: लोकसभा में गत मंगलवार को कांग्रेस ने सत्तारूढ पार्टी और सरकार से जुड़े लोगों के हाल के विवादास्पद बयानों को लेकर सरकार पर निशाना साधा और इन बयानों को संविधान एवं शांति व्यवस्था के खिलाफ बताया जिसपर सरकार ने कहा कि वह जाति, धर्म, रंग, नस्ल के आधार पर विभेद की बात का समर्थन नहीं करती।

सदन में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शिवसेना का नाम लिए बिना कहा, ‘‘जहां तक भारत के संविधान का प्रश्न है, देश का संविधान सभी को समान अधिकार देता है और जाति, धर्म, रंग, नस्ल के आधार पर भेदभाव की इजाजत नहीं देता है।’’  उन्होंने कहा कि सदन के अंदर या सदन के बाहर कोई भी ऐसा बयान देता हो जिससे जाति, धर्म, रंग, नस्ल के आधार पर भेदभाव की बात आती है तब हमारी सरकार किसी सूरत में इसका समर्थन नहीं कर सकती।

राजनाथ ने कहा कि संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार देता है। इससे पहले सदन में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस के एम आई शाहनवास ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि सत्तापक्ष के कुछ सदस्य एवं संगठन गैर जिम्मेदाराना बयान दे रहे हैं जिनमें एक समुदाय के लोगों की जबरन नसबंदी कराने जैसी बात भी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह आपराधिक मामला है, देश के खिलाफ और संविधान के खिलाफ अपराध है। इस विषय पर आपराधिक मामले के रूप में कार्रवाई की जाए।

मल्लिकार्जुन खडगे का बयान
कांग्रेस के ही मल्लिकार्जुन खडगे ने कहा कि हमारे एक सदस्य ने जो विषय उठाया है, वह महत्वपूर्ण है। आए दिन सरकार से जुड़े लोगों एवं कुछ मंत्रियों द्वारा ऐसी बातें कही जा रही है जो संविधान और देश के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सदन में गृह मंत्री मौजूद है। आपको यह देखना चाहिए कि नई सरकार का गठन हुआ है और नई सरकार संविधान के अनुरूप चलती है। ऐसा संदेश जाना चाहिए लेकिन नसबंदी कराने और रामजादे जैसे बयान से क्या देश में शांति बनी रह सकेगी। खडगे ने कहा कि सत्तारूढ गठबंधन के सदस्य समाज में विष फैला रहे हैं और इसे बांटने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को अस्थिर बनाने का प्रयास आपकी ओर से हो रहा है, हमारी ओर से नहीं।  उन्होंने कहा कि संविधान का पालन करने का संदेश देने की बजाए आपके सदस्य सभी तरह के विभाजनकारी बयान दे रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि महाराष्ट्र के एक राजनीतिक दल के मुखपत्र के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए और अगर जरूरत हो तब इसे बंद किया जाए। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News