किसानों पर मेहरबान हुईं मायावती

punjabkesari.in Sunday, Apr 19, 2015 - 04:49 PM (IST)

लखनऊ(नासिर): बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आज यहां कहा कि चूंकि बेमौसम की लगातार बारिश व ओलावृष्टि आदि से किसानों का काफी बुरा हाल है और उनके द्वारा इससे सदमे आदि के कारण मौत व आत्महत्या की खबरें हर तरफ से लगातार आने के बावजूद केन्द्र व राज्य सरकार केवल कागज़़ी खानापूरी व दिखावटी एवं बनावटी कार्यों में लगी हुई है। इस कारण उन्होंने अपने तमाम सांसदों व विधायकों को आज निर्देशित किया है कि वे सभी अपना एक महीने का वेतन, सरकारी माध्यम से वितरित करने के बजाय, अपने-अपने क्षेत्र के पीड़ित किसान परिवारों में जाकर स्वयं ही तुरंत राहत के तौर पर तत्काल उपलब्ध करायें।
 
 इस अवसर पर बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि बी.एस.पी. के राज्यसभा सांसद, विधानसभा व विधान परिषद के सदस्य, ये सभी लोग अपना एक महीने का वेतन अपने-अपने क्षेत्रों के गऱीब व कजऱ् के बोझ से डूबे किसानों के बीच तत्काल स्वयं ही वितरित करेंगे, ताकि उन्हें तत्काल राहत मिल सके और केन्द्र व प्रदेश सरकार की सहायता के अभाव में उन्हें आत्महत्या आदि करने को मजबूर होने से रोका जा सके। 
 
यह इंसानियत का फ़ौरी तक़ाज़ा है। इससे आगे पीड़ित किसानों को समुचित राहत देने आदि की मांग को लेकर बी.एस.पी. ने देशव्यापी आन्दोलन के तहत प्रथम चरण में उत्तर प्रदेश के सभी जि़ला मुख्यालयों पर दिनांक 27 अप्रैल, 2015 को एकदिन का ’’ विशाल धरना-प्रदर्शन’’ करने का कार्यक्रम तय किया है। उन्होंने कहा कि यह विचित्र बात है कि किसान तबके़ के लोग ज़बर्दस्त संकट में हैं। वे फसल की व्यापक बर्बादी के कारण सदमें से मर रहे हैं और जीवन से निराश होकर आत्महत्याएं तक कर रहे हैं।
 
 परन्तु देश के प्रधानमंत्री व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री विदेशों में सैर-सपाटा कर रहे हैं। कुछ मंत्रिगण खेतों में जाकर फोटो खिचवां कर अख़बारों में छपवा रहे हैं, परन्तु लाखों पीड़ित किसानों को उचित मुआवज़ा तो बहुत दूर की बात है उन्हें फौरी राहत तक नहीं पहुंचाई जा रही है।
 
इन मामलों में किसान बीमा योजना के भी पोल पूरी तरह से खुल गई है। फसल बीमा को ख़ूब प्रचारित किया जाता है, परन्तु पीड़ित किसानों को कुछ क्षतिपूर्ति नहीं मिल पा रही है। इतना ही नहीं, देशभर में पीड़ित लाखों किसान परिवारों की फौरी राहत देने के मामले में सही चिन्ता करके अपना ’’राजधर्म’’ निभाने के बजाय, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विदेश से लौटने के बाद अपने भाजपा सांसदों को, अपनी विदेश यात्रा के बारे में जनता में जाकर तारीफें बिखेरने के लिए विवश कर रहे हैं।
 
 प्रधानमंत्री जी को शायद यह नहीं मालूम है कि भूखे पेट कुछ भी अच्छा नहीं लगता है और अब भाजपा के सांसद अगर हिम्मत करके अपने-अपने क्षेत्रों में चले भी जायेंगे तो उनसे लोग अपनी ज्वलंत दिन-प्रतिदिन की समस्याओं के बारे में और ख़ासकर उनके द्वारा किये गये महंगाई, गऱीबी व बेरोजगारी कम करने आदि व अन्य बड़े-बड़े चुनावी वायदों को अब तक थोड़ा भी नहीं पूरा कर पाने के बारे में ज़रूर पूछेंगे।

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