इस ''कातिल डोर'' को काटो

punjabkesari.in Wednesday, Jan 14, 2015 - 10:33 AM (IST)

नई दिल्ली: पिछले 2 महीने में दर्जनों हादसों का कारण बन चुकी चीनी (चाइनीज) डोर को काटने में ‘पुलिस और प्रशासन’ की सुस्ती समझ से परे होती जा रही है। पुलिस ऐसे मामलों में दिखावे के तौर पर आई.पी.सी. की धारा-188 के तहत मामले दर्ज करके खानापूर्ति कर रही है लेकिन चीनी डोर से होने वाले हादसे रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। 
 
मंगलवार को जालंधर के घास मंडी इलाके में सोनू नाम का 12 वर्षीय बच्चा चीनी डोर के कारण झुलस गया। सोनू की डोर बिजली की हाई टैंशन वायर में जा घुसी और डोर के रास्ते करंट सोनू के शरीर में पहुंच गया जिससे उसका हाथ और पैर बुरी तरह से झुलसे हैं। चीनी डोर का शिकार होने वाला सोनू कोई पहला बच्चा नहीं है। इससे पहले लुधियाना, अमृतसर, गुरदासपुर, भटिंडा व बटाला में कई बच्चे इस ‘कातिल डोर’ का शिकार हो चुके हैं।
 
भारतीय डोर
यह डोर कपास से बनाए जाने वाले धागे से बनती है। इसके मांझे में रंग के अलावा लेवी और कांच के पाऊडर का इस्तेमाल होता है। यह डोर आसानी से काटी जा सकती है।
 
चीनी डोर
 यह सिंथैटिक डोर है। इस डोर में इंस्ट्रीयल मैटल मिला हुआ है। इसे काटना मुश्किल है मैटल मिला होने के कारण इसमें से करंट गुजर सकता है जो पतंग उड़ाने वाले को घायल करता है।
 
इस बीच लुधियाना में इस डोर के कारण हादसे का शिकार हुई 38 वर्षीय नर्स शानू शर्मा ने इस डोर की बिक्री तुरन्त रोकने की मांग की है। शानू को इस डोर के कारण चेहरे पर 25 टांके लगे हैं। शानू उस वक्त इस डोर के कारण हादसे का शिकार हो गई थी जब वह अपने दोपहिया वाहन पर हैल्मेट पहन कर जा रही थी। डोर शानू का हैल्मेट चीरकर उसके चेहरे में जा घुसी थी। यह डोर चीन के अलावा भारत में भी बनाई जा रही है और कई स्थानों पर छापेमारी के दौरान बरामद हुई डोर भारत निर्मित पाई गई है।
 
''पंजाब केसरी'' की अपील
चीनी डोर के दुष्प्रभाव से बच्चे तो अंजान हैं लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि अभिभावक और स्कूलों का प्रबंधन भी मामले में पूरी तरह जागरूक नहीं है। ‘पंजाब केसरी’ अभिभावकों और स्कूल प्रबंधकों से अपील करता है कि वे बच्चों को इस डोर के दुष्प्रभाव से जागरूक करवाएं ताकि हम अपने देश के भविष्य ‘बच्चों’ को इस डोर के दुष्प्रभाव से बचा सकें।

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