क्या भारत में 7000 साल पहले ही उड़ते थे विमान

punjabkesari.in Monday, Jan 05, 2015 - 01:01 PM (IST)

मुंबई: भारतीय विज्ञान कांग्रेस में आज वेदों में प्राचीन विमान तकनीक से जुड़े व्याख्यान में कहा गया कि भारत में 7,000 साल पहले विमान अस्तित्व में थे और वे एक देश से दूसरे देश तथा एक ग्रह से दूसरे ग्रह पर जाते थे।  

एक पायलट प्रशिक्षण संस्थान के सेवानिवृत्त प्राचार्य कैप्टन आनंद जे बोदास के व्याख्यान के आयोजन को लेकर पिछले दिनों कुछ वैज्ञानिकों ने आलोचना की थी और कहा था कि यह उन अनुभव आधारित साक्ष्यों की प्रमुखता की अनदेखी करता है जिन पर 102 साल पुरानी भारतीय विज्ञान कांग्रेस की स्थापना की गयी थी।  ‘संस्कृत के माध्यम से भारतीय विज्ञान’ विषयक संगोष्ठी के तहत मुंबई विश्वविद्यालय के तत्वावधान में कांग्रेस के दूसरे दिन व्याख्यान का आयोजन किया गया था।  बोदस ने प्राचीन भारत में उड़ान तकनीक होने के अपने दावे के समर्थन में प्राचीन वैदिक सूत्रों का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘रिग्वेद में प्राचीन विमानन तकनीक का उल्लेख है।’’  उन्होंने कहा कि महर्षि भारद्वाज ने 7,000 साल पहले विमानों के अस्तित्व की बात की थी जो एक देश से दूसरे देश, एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप और एक ग्रह से दूसरे में जाते थे। उन्होंने विमानन तकनीक के लिए 97 संदर्भ पुस्तकों का जिक्र किया।

बोदस ने कहा, ‘‘इतिहास में केवल यह उल्लेख मिलता है कि राइट ब्रदर्स ने सबसे पहले 1904 में पहली उड़ान भरी थी।’’  उन्होंने कहा कि विमान संहिता लिखने वाले भारद्वाज ने विमान बनाने में इस्तेमाल होने वाली अनेक प्रकार की मिश्रधातुओं के बारे में उल्लेख किया था।   उन्होंने कहा, ‘‘अब हमें विमानों के लिए मिश्रधातुओं का आयात करना पड़ता है। युवा पीढ़ी को उनकी पुस्तक में वर्णित मिश्रधातुओं के बारे में अध्ययन करना चाहिए और उनका निर्माण यहां करना चाहिए।’’  उन्होंने प्राचीन भारत में विशाल विमानों के उड़ान भरने का भी दावा किया। बोदस के अनुसार विमानों की लंबाई चौड़ाई 60 गुणा 60 फुट होती थी और कुछ मामलों में तो 200 फुट से अधिक होती थी।   बोदस ने कहा, ‘‘प्राचीन विमानों में 40 छोटे इंजन होते थे।’’ 


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