Apple पर ₹3.20 लाख करोड़ की पेनाल्टी का खतरा! भारत के नए कानून से घबराकर कंपनी पहुँची दिल्ली Highcourt

punjabkesari.in Thursday, Nov 27, 2025 - 04:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: अमेरिकी टेक्नोलॉजी दिग्गज Apple की मुश्किलें भारत में बढ़ गई हैं। भारत सरकार द्वारा Anti-Competition कानून में किए गए बड़े बदलाव के चलते कंपनी पर 38 अरब डॉलर (लगभग 3 लाख 20 हज़ार करोड़ रुपये) तक की भारी-भरकम पेनाल्टी लगने का खतरा मंडरा रहा है। इसी खतरे के कारण ऐपल अब इस नियम को चुनौती देने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुँच गई है।

पेनल्टी का पैमाना बदलने से गेम पलटा

यह पूरा मामला भारत के कम्पटीशन एक्ट, 2023 में हुए एक बदलाव से जुड़ा है। 2023 से पहले भारत में जुर्माना केवल उस कारोबार पर लगता था जो देश के भीतर चल रहा है और यह रकम बहुत छोटी होती थी। वहीं नए कानून ने CCI - Competition Commission of India को यह अधिकार दे दिया है कि वह किसी भी कंपनी की पूरी दुनिया भर की कमाई (ग्लोबल टर्नओवर) को पेनल्टी का आधार बना सकती है। चूंकि ऐपल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है और उसका ग्लोबल टर्नओवर ट्रिलियन डॉलर में है इसलिए CCI को अब उसके ग्लोबल टर्नओवर का 10% तक पेनल्टी लगाने का अधिकार मिल गया है। इसी वजह से यह खतरा इतने बड़े अमाउंट तक पहुँच गया है।

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क्यों और कैसे शुरु हुआ मामला?

मामला तब शुरू हुआ जब कुछ डेवलपर्स ने CCI में शिकायत दर्ज कराई। डेवलपर्स का आरोप था कि ऐपल की नीतियाँ, ख़ासकर ऐप स्टोर में इन-ऐप खरीदारी और कमीशन वसूलने के नियम, बाज़ार पर बेवजह का कंट्रोल स्थापित करते हैं। CCI ने इन्हीं शिकायतों पर जांच शुरू की, जिससे यह मामला पेनाल्टी के दायरे में आ गया।

Apple का तर्क: 'यह सज़ा जैसा है'

ऐपल कंपनी भारत के इस नए नियम का पुरजोर विरोध कर रही है और कोर्ट में निम्नलिखित तर्क दे रही है। ऐपल का कहना है कि अगर जांच ऐप स्टोर इंडिया की नीतियों पर है, तो जुर्माना भी सिर्फ 'रिलेवेंट टर्नओवर' यानी उसी हिस्से की कमाई पर लगना चाहिए। कंपनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही यह सिद्धांत स्थापित कर चुका है कि पेनाल्टी केवल उस बिज़नेस की कमाई पर लगनी चाहिए जिसमें समस्या मिली है। ऐपल ने कहा कि भारत का नया नियम इस सिद्धांत के उलट है और उसके खिलाफ 'सज़ा' जैसा है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए।

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भारत का रुख

CCI और भारत सरकार का रुख इसके बिल्कुल विपरीत है। CCI का कहना है कि बड़ी टेक कंपनियों पर छोटी (लोकल रेवेन्यू आधारित) पेनाल्टी का कोई प्रभाव नहीं होता, क्योंकि उनका कारोबार इतना बड़ा है। नया नियम इसलिए लाया गया ताकि ये बड़ी कंपनियाँ भी भारतीय कानून को गंभीरता से लें। अगर कंपनियाँ ग्लोबल स्तर पर काम करती हैं, तो कानून का असर भी उसी पैमाने पर होना चाहिए।

इस लड़ाई का दूरगामी असर

यह मामला अब अदालत में है और इसका फैसला सिर्फ ऐपल तक सीमित नहीं रहेगा। अगर कोर्ट ऐपल की बात मान लेता है, तो पेनाल्टी का खतरा खत्म हो जाएगा और जुर्माना फिर से सिर्फ भारतीय कारोबार तक सीमित रहेगा। अगर कोर्ट भारत के नए नियम को सही मानता है, तो CCI को दुनिया की सबसे मजबूत पेनाल्टी पॉवर मिल जाएगी। इसका असर गूगल, मेटा, अमेज़ॉन जैसी बाकी सभी बड़ी टेक कंपनियों पर भी पड़ेगा, जिन्हें भारतीय कानून का उल्लंघन करने पर ग्लोबल टर्नओवर के आधार पर जवाब देना पड़ सकता है।

 


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News Editor

Radhika

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