मोदी सरकार को बनाने वाली इस राज्य को लगा 25,000 करोड़ का झटका, CM नायडू ने कर दी PM मोदी से ये डिमांड
punjabkesari.in Monday, Sep 15, 2025 - 02:23 PM (IST)

नई दिल्ली : 2019 में केंद्र में मोदी सरकार की वापसी में निर्णायक भूमिका निभाने वाला आंध्र प्रदेश अब भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। अमेरिका द्वारा भारतीय झींगा पर लगभग 60% तक टैरिफ लगाए जाने के बाद राज्य को करीब 25,000 करोड़ रुपये का सीधा झटका लगा है। देश के झींगा निर्यात में 80% हिस्सेदारी रखने वाला यह राज्य अब संकट की स्थिति में है। राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने इस गंभीर स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार से राहत पैकेज और दीर्घकालिक रणनीति की मांग की है।
अमेरिका का भारी शुल्क: भारत के लिए मुश्किलें बढ़ीं
अमेरिकी सरकार ने भारतीय झींगा पर 50% बेसिक टैरिफ के साथ-साथ 5.76% प्रतिपूरक शुल्क (CVD) और 3.96% एंटी-डंपिंग शुल्क भी लगा दिया है। इस तरह कुल टैरिफ दर बढ़कर 59.72% हो गई है। इसका असर सीधे तौर पर आंध्र प्रदेश के झींगा व्यापार पर पड़ा है, जहां से हर साल करीब 21,000 करोड़ रुपये मूल्य का झींगा अमेरिका को निर्यात किया जाता है।
राज्य सरकार के अनुसार, हालिया टैरिफ की वजह से निर्यातकों को अब तक करीब 25,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। अकेले 2,000 कंटेनरों पर लगभग 600 करोड़ रुपये का अतिरिक्त शुल्क देना पड़ रहा है, जिससे राज्य के मछुआरे और निर्यातक दोनों गंभीर आर्थिक संकट में हैं।
सीएम नायडू ने केंद्र को लिखा पत्र, मांगी राहत और रणनीति
तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और मत्स्य मंत्री राजीव रंजन को पत्र लिखकर तत्काल राहत पैकेज और दीर्घकालिक रणनीति की मांग की है।
उन्होंने मांग की है कि:
-झींगा उद्योग के लिए अंतरिम वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाए।
-फ्रोजन झींगा पर 5% जीएसटी को अस्थायी रूप से माफ किया जाए।
-बैंक ऋण और ब्याज भुगतान पर 240 दिन की मोहलत दी जाए।
-ब्याज पर सब्सिडी और मछुआरों के लिए बिजली दरों पर राहत दी जाए।
सीएम ने बताया कि राज्य सरकार पहले ही एक्वा फीड की कीमतों में ₹9 प्रति किलो की कटौती कर चुकी है। साथ ही, ट्रांसफॉर्मर सब्सिडी और अन्य राहत उपायों पर भी विचार किया जा रहा है।
बदले हालात में नए निर्यात बाजारों की तलाश ज़रूरी
अमेरिकी बाजार पर अत्यधिक निर्भरता को जोखिमपूर्ण बताते हुए नायडू ने नए निर्यात विकल्पों की तलाश पर जोर दिया है। उन्होंने केंद्र से आग्रह किया है कि भारत को यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब और रूस जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) करने चाहिए, ताकि झींगा उद्योग को स्थिरता मिल सके। सीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य के निर्यातक यूरोपीय बाजारों में झींगा, मछली और केकड़ा (क्रैब) भेजने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
सीधे जुड़े लाखों लोग, राष्ट्रीय नीतिगत फैसलों की ज़रूरत
आंध्र प्रदेश में मत्स्य उद्योग से सीधे तौर पर 2.5 लाख परिवार जुड़े हुए हैं, जबकि करीब 30 लाख लोग इस क्षेत्र में किसी न किसी रूप में कार्यरत हैं। इसलिए इस संकट को केवल राज्य का मसला मानना नासमझी होगी - यह राष्ट्रीय स्तर पर नीति-निर्माण की मांग करता है। सीएम नायडू ने कहा कि इस आर्थिक झटके से उबरने के लिए केंद्र को राष्ट्रीय स्तर की रणनीति बनानी चाहिए, जिससे न सिर्फ मौजूदा नुकसान की भरपाई हो सके, बल्कि भविष्य के लिए झींगा निर्यात को लेकर भारत की स्थिति और मजबूत हो।