प्रधानमंत्री मोदी की सख्त पहल रंग लाई... रूस की सेना में गलत तरीके से भर्ती किए गए सभी भारतीयों की होगी स्वदेश वापसी

punjabkesari.in Wednesday, Jul 10, 2024 - 09:26 AM (IST)

नेशनल डेस्क: रूस की सेना में गलत सूचना देकर भर्ती किए गए सभी भारतीयों को स्वदेश लौटने की अनुमति मिल गई है। खबरों के मुताबिक, लगभग 40 भारतीय रूस की सेना में फंसे हुए थे, जिन्हें रोजगार देने के बहाने बुलाया गया था और बाद में उन्हें यूक्रेन सीमा पर युद्ध में तैनात कर दिया गया। इस संघर्ष में अब तक दो भारतीयों की जान भी जा चुकी है। रूस की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात में इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया।

राष्ट्रपति पुतिन ने सभी भारतीयों को रिहा करने पर सहमति जताई है। इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ इस मामले पर चर्चा की थी। मोदी और पुतिन के नेतृत्व में 22वां भारत-रूस शिखर सम्मेलन मंगलवार को संपन्न हुआ, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के कई मुद्दों पर बातचीत हुई। दोनों नेताओं के बीच हुई वार्ता में यह स्पष्ट हुआ कि अब भारत और रूस के बीच रक्षा संबंध प्राथमिकता में नीचे आ गए हैं। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में यूक्रेन युद्ध के बाद भारत के सैन्य क्षेत्र में रूसी सैन्य सामग्रियों की कमी का मुद्दा उठाया। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने बताया कि शिखर सम्मेलन में आर्थिक एजेंडा अधिक प्रमुख रहा। वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय कारोबार को मौजूदा 65 अरब डॉलर से बढ़ाकर 100 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा गया है।

यूक्रेन युद्ध के बाद भारत ने अमेरिका और पश्चिमी देशों के दबाव को दरकिनार कर रूस से भारी मात्रा में कच्चे तेल की खरीद की है, जिससे भारत को सस्ती दर पर तेल उपलब्ध हुआ और रूस को विदेशी मुद्रा की आमदनी हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब दुनिया खाद्य, उर्वरक और ईंधन की कमी महसूस कर रही थी, तब रूस की मदद से भारतीय किसानों को किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा। भारत ने रूस से और अधिक उर्वरक खरीदने की भी इच्छा जताई है।

भारत को दौरे से क्या मिला:
- रूस ने लंबी अवधि के लिए कच्चे तेल, कोयला और उर्वरक की आपूर्ति करने पर सहमति दी।
- कुडानकुलम के अलावा एक और जगह रूस की तकनीक पर आधारित परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित होगा।
- भारतीय और रूसी सेनाओं के बीच तकनीकी सहयोग पर गठित समिति की बैठक फिर से शुरू होगी।
- रूसी रक्षा उपकरणों के लिए आवश्यक कलपुर्जों का निर्माण भारत में ही होगा और संयुक्त उपक्रम स्थापित होगा।

सैन्य सहयोग से ज्यादा आपसी कारोबार पर जोर:
- गैर-शुल्कीय बाधाओं को खत्म कर आपसी कारोबार को बढ़ावा दिया जाएगा।
- यूरेशियाई देशों के साथ एफटीए की संभावना पर चर्चा होगी।
- आपसी कारोबार को बढ़ाने के लिए तीन समुद्री मार्गों से कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी।
- कृषि, खाद्य और उर्वरक के क्षेत्र में कारोबार बढ़ाने की योजना।
- ऊर्जा के क्षेत्र जैसे परमाणु, पेट्रोलियम और पेट्रो-रसायन में संबंध मजबूत होंगे।
- आटोमोबाइल, शिप बिल्डिंग, ट्रांसपोर्ट में नई संभावनाएं तलाशी जाएंगी।
- दवा और चिकित्सा उपकरण में अपार संभावनाएं, रूस में भारतीय कंपनियों के अस्पताल खुलेंगे।

इस दौरे से भारत को कई आर्थिक और रणनीतिक लाभ प्राप्त हुए हैं, जो भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती प्रदान करेंगे।

 


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Content Editor

Mahima

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