भारत से पंगा लेना पड़ा भारी, पाकिस्तान के सामने आ रही हैं 5 नई चुनौतियां

punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 04:55 PM (IST)

नेशनल डेस्क. 22 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। इस तनाव ने पहले से ही कमजोर पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को और भी गहरे संकट में धकेल दिया है। भारत ने अभी तक कोई सीधा सैन्य हमला नहीं किया है, लेकिन उठाए गए कुछ कड़े कदमों ने ही पाकिस्तान की आर्थिक कमर तोड़ दी है। सिंधु जल समझौते को निलंबित करने, व्यापारिक प्रतिबंध लगाने और अटारी-वाघा सीमा को बंद करने जैसे कदमों से पाकिस्तान का आर्थिक संकट और भी गहरा गया है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही भारी कर्ज, बढ़ती महंगाई और अंदरूनी अस्थिरता से जूझ रही है। पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा उठाए गए कदमों, खासकर सिंधु जल समझौते का निलंबन और व्यापारिक प्रतिबंध के कारण 2025 में यह आर्थिक संकट 10 से 15% तक और बढ़ सकता है। पानी और व्यापार की कमी से कृषि, उद्योग और आम लोगों के जीवन पर गंभीर असर पड़ेगा, जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ना और सैन्य तनाव स्थिति को और भी खराब कर सकते हैं। अगर युद्ध जैसी कोई स्थिति बनती है, तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो सकती है।

1. सिंधु जल समझौता स्थगित: अन्न संकट गहराया

पाकिस्तान की लगभग 80% खेती सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है, जो देश के 40% रोजगार और 18% जीडीपी में योगदान करती है। भारत द्वारा पानी रोकने से सिंध प्रांत और पंजाब में फसल उत्पादन में 20 से 30% तक की कमी आ सकती है, जिससे देश में खाद्य संकट और महंगाई बढ़ेगी। कराची और लाहौर जैसे बड़े शहरों में पीने के पानी की भी भारी कमी हो सकती है। हालांकि कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का तत्काल कोई बड़ा असर नहीं होगा, जब तक भारत पानी के भंडारण की व्यवस्था नहीं कर लेता, जिसमें कई साल लग सकते हैं। लेकिन यह भी सच है कि सूखे और बाढ़ के समय में पानी की चाबी भारत के हाथ में ही रहेगी।

पाकिस्तान की लगभग 30% बिजली जलविद्युत परियोजनाओं से आती है। गर्मियों में जब नदियों में पानी कम होता है, तो भारत द्वारा पानी का प्रवाह थोड़ा भी कम करने से बिजली उत्पादन में भारी कमी आ सकती है, जिससे औद्योगिक उत्पादन और रोजगार बुरी तरह प्रभावित होंगे। अनुमान लगाया जा रहा है कि इससे पाकिस्तान की जीडीपी विकास दर 2.6% से भी नीचे जा सकती है। पानी की कमी से ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी और पलायन बढ़ेगा, जिससे सामाजिक अशांति और सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज हो सकते हैं। विश्व बैंक ने पहले ही अनुमान लगाया था कि 2025 के अंत तक 74% पाकिस्तानी भुखमरी के कगार पर हो सकते हैं। पानी की कमी से यह स्थिति और भी भयावह हो सकती है, जिससे जीडीपी में 5 से 7% की अतिरिक्त गिरावट आ सकती है।

2. व्यापार और निवेश पर बुरा असर

भारत ने अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया है और दोनों देशों के बीच व्यापार पूरी तरह से रोक दिया है। भारत से दवाओं, कपास और अन्य जरूरी सामानों का आयात रुकने से पाकिस्तान में इनकी कीमतें 30 से 50% तक बढ़ सकती हैं। पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) का KSE-100 इंडेक्स 3500 अंकों से ज्यादा गिर चुका है, और कारोबार का मूल्य 9.05% घटकर 27.76 अरब रुपये पर आ गया है। निवेशकों का भरोसा कमजोर होने से देश से पूंजी का पलायन बढ़ सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने 2025 के लिए पाकिस्तान की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 3% से घटाकर 2.6% कर दिया है। फिच रेटिंग्स ने रुपये के और कमजोर होने की चेतावनी दी है, जिससे निवेशकों का विश्वास और भी कम हुआ है। भारत के कदमों और अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण पाकिस्तान को मिलने वाले बेलआउट पैकेज में देरी हो सकती है, जिससे उसका विदेशी मुद्रा भंडार (जो पहले से ही सिर्फ 8 अरब डॉलर है) और तेजी से घट सकता है। व्यापारिक नुकसान और निवेश में कमी से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में 2 से 3% की अतिरिक्त मंदी आ सकती है। महंगाई, जो पहले से ही 23% से ज्यादा है, 30% तक पहुंच सकती है।

3. परिवहन और हवाई मार्ग बंद: व्यापार में कमी

पाकिस्तान ने भारतीय एयरलाइंस के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया है और भारत ने भी पाकिस्तानी विमानों के लिए अपने हवाई रास्ते बंद कर दिए हैं। अटारी बॉर्डर भी भारत ने सील कर दिया है। भारत और पाकिस्तान के बीच व्यापार पहले से ही बंद था, लेकिन अटारी बॉर्डर के रास्ते कुछ व्यापार अभी भी हो रहा था, जो अब पूरी तरह से ठप हो गया है। अटारी मार्ग से होने वाला आयात पाकिस्तान के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, जिससे कई तरह की मुश्किलें पैदा होंगी। वैकल्पिक रास्तों से आयात-निर्यात की लागत बढ़ने से पाकिस्तान के निर्यात (जैसे कपड़ा) में 10 से 15% की कमी आ सकती है, जो उसकी जीडीपी का 10% हिस्सा है। परिवहन लागत में वृद्धि से औद्योगिक उत्पादन में 5 से 10% की कमी और निर्यात में 1 से 2 अरब डॉलर का नुकसान हो सकता है।

4. आंतरिक और क्षेत्रीय अस्थिरता: सेना पर दबाव

बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनख्वा और सिंध में पहले से ही चल रहे हिंसक आंदोलनों के कारण पाकिस्तानी सेना लगातार मुश्किलों का सामना कर रही है। आर्थिक संकट बढ़ने और पानी की कमी के चलते इन क्षेत्रों में आंदोलन और भी उग्र हो सकते हैं। पाकिस्तान सरकार के खिलाफ प्रदर्शन बढ़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो पाकिस्तान का न केवल आंतरिक सुरक्षा पर खर्च बढ़ेगा, बल्कि पाकिस्तानी सेना को कई मोर्चों पर एक साथ मुकाबला करना होगा। ऐसे समय में जब सीमा पर तनाव के कारण सेना की जरूरत बॉर्डर पर ज्यादा होगी, अंदरूनी आंदोलनकारी बेखौफ हो सकते हैं, जिसके चलते पाकिस्तानी सेना को अपना रक्षा बजट (जो पहले से ही 7.6 अरब डॉलर है) और बढ़ाना पड़ सकता है। आंतरिक अस्थिरता और सैन्य खर्च से राजकोषीय घाटा, जो पहले से ही 7.4% है, 8 से 9% तक बढ़ सकता है।

5. अंतरराष्ट्रीय दबाव: अलगाव और अस्थिरता में वृद्धि

भारत ने पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए संयुक्त राष्ट्र और 13 विश्व नेताओं को सबूत सौंपे हैं। पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ की आतंकवाद के समर्थन की गलती स्वीकार करने वाली टिप्पणी और लंदन में एक अधिकारी के प्रदर्शनकारियों को धमकाने के वीडियो ने उसकी कूटनीतिक विश्वसनीयता को और भी कम कर दिया है। इस बीच बिलावल भुट्टो ने भी यह माना है कि पाकिस्तान आतंकियों को पालता रहा है। पाकिस्तान सिंधु जल समझौते के निलंबन को विश्व बैंक में चुनौती दे सकता है, लेकिन आतंकवाद के समर्थन के आरोपों के कारण उसे समर्थन मिलना मुश्किल है। जाहिर है कि इससे पाकिस्तान को मिलने वाली विदेशी सहायता और निवेश में और कमी आ सकती है। अनुमान है कि अंतरराष्ट्रीय अलगाव से विदेशी निवेश में 20 से 30% की कमी और बेलआउट पैकेज में देरी हो सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था और भी अस्थिर होगी।

भारत वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) का एक महत्वपूर्ण सदस्य है और 2023-24 में हुए मूल्यांकन में इसे नियमित अनुवर्ती कार्रवाई की श्रेणी में रखा गया है, जो केवल चार अन्य G20 देशों को मिला है। भारत ने पहले भी FATF में पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद के वित्तपोषण का मुद्दा उठाया है और अब पहलगाम हमले के बाद इस मुद्दे को और भी जोर-शोर से उठाने की संभावना है। एक अनुमान के अनुसार, 2008 से ग्रे लिस्ट में रहने के कारण पाकिस्तान को 38 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है।


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Content Editor

Parminder Kaur

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