धनशोधन के मामले में जमानत मिलने के बाद हेमंत ने कहा : मैं साजिश का शिकार

punjabkesari.in Friday, Jun 28, 2024 - 10:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन धनशोधन के मामले में करीब पांच महीने जेल में बिताने के बाद शक्रवार को उच्च न्यायालय से जमानत मिलने के बाद रिहा किए गए। जेल से बाहर आने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुको) के नेता सोरेन ने आरोप लगाया कि वह साजिश के शिकार हुए हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक भूमि घोटाले से जुड़े धनशोधन के एक मामले में 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था। अदालत ने सोरेन की जमानत याचिका पर अपना फैसला 13 जून को सुरक्षित रख लिया था। न्यायमूर्ति रंगन मुखोपाध्याय की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश में कहा गया, ‘‘...याचिकाकर्ता को 50,000 रुपये के जमानती मुचलके और इतनी ही राशि की दो प्रतिभूति जमा करने पर जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।''

एक अधिकारी ने बताया कि सोरेन (48) बिरसा मुंडा जेल में कैद थे और कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उन्हें अपराह्न चार बजे रिहा किया गया। झारखंड के मुख्यमंत्री चंपई सोरेन और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को सोरेन को अदालत से जमानत मिलने पर खुशी जताई। सोरेन की पत्नी एवं झामुमो विधायक कल्पना सोरेन ने न्यायपालिका को धन्यवाद दिया। सोरेन के वरिष्ठ वकील अरुणाभ चौधरी ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘अदालत ने कहा है कि प्रथम दृष्टया, वह दोषी नहीं हैं और जमानत पर रिहाई के दौरान याचिकाकर्ता द्वारा कोई अपराध किए जाने की कोई आशंका नहीं है।''

सोरेन जब जेल से बाहर निकले तो बड़ी संख्या में झामुमो के समर्थक वहां मौजूद थे और उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थन में नारेबाजी की। जेल से रिहा होने के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सोरेन ने दावा किया कि उन्हें धनशोधन के झूठे मामले में फंसाया गया और उन्हें लगभग पांच महीने जेल में बिताने के लिए मजबूर किया गया। केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर परोक्ष हमला करते हुए उन्होंने कहा कि वह इस बात से चिंतित हैं कि देश में किस तरह राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और पत्रकारों की आवाज दबाई जा रही है।

सोरेन ने कहा, ‘‘मुझे गलत तरीके से फंसाया गया। मेरे खिलाफ साजिश रची गई और मुझे पांच महीने जेल में बिताने के लिए मजबूर किया गया।'' उन्होंने कहा, ‘‘मैं न्यायपालिका का सम्मान करता हूं। अदालत ने अपना आदेश सुनाया और मैं जमानत पर बाहर हूं। लेकिन न्यायिक प्रक्रिया लंबी है।'' उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को दबाया जा रहा है। सोरेन ने कहा, ‘‘जो जंग मैंने शुरू की थी, उसे मैं ही खत्म करूंगा।'' सोरेन जेल से रिहा होने के बाद अपने पिता एवं झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन का आशीर्वाद लेने उनसे मिलने गए। उच्च न्यायालय से सोरेन को जमानत मिलने के बाद झामुमो और कांग्रेस कार्यकर्ता एक-दूसरे को मिठाई बांटते दिखे। चंपई सोरेन ने उच्च न्यायालय से हेमंत सोरेन को मिली जमानत को सच्चाई की जीत करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स'पर पोस्ट किया, "सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।''

बनर्जी ने ‘एक्स' पर लिखा, ‘‘झारखंड के एक महत्वपूर्ण आदिवासी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को एक मामले के कारण इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन आज उन्हें माननीय उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है। मैं बहुत खुश हूं और मुझे यकीन है कि वह तुरंत अपनी सार्वजनिक गतिविधियां शुरू कर देंगे। हेमंत, हमारे बीच आपका स्वागत है।'' सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय के वकील एस वी राजू ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) पुलिस थाने में ईडी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज मामलों का जिक्र करते हुए दलील दी कि अगर सोरेन को जमानत पर रिहा किया जाता है, तो वह इसी तरह का अपराध फिर करेंगे। अदालत ने कहा, ‘‘यद्यपि प्रवर्तन निदेशालय द्वारा याचिकाकर्ता के आचरण को एजेंसी के अधिकारियों द्वारा उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आधार पर उजागर किया गया है लेकिन मामले के समग्र परिप्रेक्ष्य में, याचिकाकर्ता द्वारा समान प्रकृति का अपराध करने की कोई संभावना नहीं है।'' बचाव पक्ष और ईडी की ओर से दलीलें पूरी होने के बाद अदालत ने आदेश सुरक्षित कर लिया था।

वकील ने बताया कि ईडी का पक्ष रख रहे अधिवक्ता जोहैब हुसैन ने एकल पीठ के आदेश के अमल पर 48 घंटे तक रोक लगाने का अनुरोध किया ताकि फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जा सके लेकिन उच्च न्यायालय ने इस अनुरोध को ठुकरा दिया। सोरेन ने उच्च न्यायालय से मामले की तेजी से सुनवाई करने का अनुरोध किया था। इस बीच, राज्य की झामुमो नीत सरकार में मंत्री और सोरेन के छोटे भाई बसंत सोरेन पार्टी के केंद्रीय महासचिव बिनोद पांडेय के साथ जमानत मुचलका भरने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए दीवानी अदालत पहुंचे। सोरेन की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने इससे पहले दलील दी थी कि झामुमो नेता को अनुचित तरीके से निशाना बनाया गया है। उन्होंने इसे ‘‘राजनीति से प्रेरित'' और "मनगढ़ंत'' मामला करार दिया था। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने भी सोरेन का अदालत में पक्ष रखा और पूर्व मुख्यमंत्री की जमानत के लिए दलील पेश करते हुए कहा था कि केंद्रीय एजेंसी ने उन्हें एक आपराधिक मामले में झूठा फंसाया है। 

सोरेन की जमानत याचिका का विरोध करते हुए ईडी ने आरोप लगाया कि उन्होंने राज्य की राजधानी में बड़गाम अंचल में 8.86 एकड़ जमीन "अवैध रूप से'' हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री के अपने पद का दुरुपयोग किया था। ईडी ने दावा किया कि जांच के दौरान सोरेन के मीडिया सलाहकार अभिषेक प्रसाद ने स्वीकार किया था कि पूर्व मुख्यमंत्री ने उन्हें उक्त भूखंड के स्वामित्व में बदलाव करने के लिए आधिकारिक आंकड़ों से छेड़छाड़ करने का निर्देश दिया था। ईडी ने दावा किया कि भूखंड पर जब कब्जा किया जा रहा था तब उसके असली मालिक राजकुमार पाहन ने शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन उसपर कभी कार्रवाई नहीं हुई। सोरेन को ईडी ने कई बार तलब किया था, जिसके बाद उनसे उनके आवास पर पूछताछ की गई और फिर 31 जनवरी को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


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News Editor

Parveen Kumar

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