AAIB रिपोर्ट से खुलासा, Air India 171 फ्लाइट को कैप्टन नहीं, बल्कि को-पायलट उड़ा रहा था... रोंगटे खड़े कर देने वाले थे हादसे के अंतिम पल
punjabkesari.in Saturday, Jul 12, 2025 - 12:30 PM (IST)

नेशनल डेस्क: एयर इंडिया की फ्लाइट AI171 के भयंकर हादसे की शुरुआती 15 पेज की जांच रिपोर्ट शनिवार को जारी की गई, जिसमें 12 जून को अहमदाबाद हवाई अड्डे से टेकऑफ के कुछ सेकंड बाद हुई दुर्घटना की पहली आधिकारिक रूपरेखा सामने आई। इस क्रैश में विमान में सवार 241 लोगों की जान चली गई थी। बोइंग 787 ड्रीमलाइनर टेकऑफ के तुरंत बाद अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल मैस फैसिलिटी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।
को-पायलट था विमान उड़ाने वाला
रिपोर्ट में यह अहम तथ्य सामने आया है कि हादसे के समय विमान को को-पायलट ही उड़ा रहा था, जबकि कैप्टन एक सुपरवाइजर की भूमिका में थे। एयरक्राफ्ट में दो पायलट होते हैं- एक पायलट उड़ान के नियंत्रण में (Pilot Flying) होता है, जबकि दूसरा पायलट मॉनिटरिंग (Pilot Monitoring) करता है। इस मामले में 32 वर्षीय को-पायलट टेकऑफ और प्रारंभिक चढ़ाई के दौरान विमान उड़ाने वाला था, जबकि अनुभवी 56 वर्षीय कैप्टन ने सिस्टम्स की निगरानी और रेडियो कम्युनिकेशन की जिम्मेदारी संभाली थी। दोनों पायलट पूरी तरह से फिट और लाइसेंसधारी थे।
हादसे के अंतिम पल
12 जून को दोपहर 1:39 मिनट रनवे 23 से टेकऑफ हुआ, और विमान ने सामान्य गति से उड़ान भरी। लेकिन टेकऑफ के तीन सेकंड बाद, विमान के दोनों इंजन बंद हो गए। जांच में पता चला कि दोनों इंजन के फ्यूल कंट्रोल स्विच RUN से CUTOFF पोजीशन में चले गए, जिससे इंजन की शक्ति अचानक समाप्त हो गई। विमान अभी भी ऊंचाई कम कर रहा था, इसलिए यह स्थिति बेहद खतरनाक साबित हुई। इमरजेंसी सिस्टम सक्रिय हो गए और हवाई अड्डे के सीसीटीवी में रैम एयर टरबाइन (RAT) के निकलने की भी पुष्टि हुई, जो प्राथमिक बिजली स्रोत के बंद होने का संकेत है।
कॉकपिट में फैली घबराहट
वॉयस रिकॉर्डर में दोनों पायलटों के बीच भ्रम की स्थिति भी सुनाई दी। एक पायलट ने पूछा, “तुमने कटऑफ क्यों किया?” जवाब मिला, “मैंने नहीं किया।” दोनों ने फ्यूल स्विच फिर से RUN पर लगाने की कोशिश की और इंजन को रिस्टार्ट करने की कोशिश की, जिसमें एक इंजन तो काबू में आ गया लेकिन दूसरा ठीक से काम नहीं कर पाया। इस बीच विमान तेजी से ऊंचाई खोने लगा। 12 जून दोपहर 1:39 मिनट पर mayday कॉल भेजी गई, और कुछ सेकंड बाद विमान बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। 241 में से 240 यात्रियों, 10 काबिन क्रू, और दोनों पायलटों की मौत हो गई, केवल एक यात्री गंभीर हालत में बच पाया।
जांच के लिए क्यों महत्वपूर्ण है को-पायलट का रोल?
जांचकर्ताओं के लिए यह जानना जरूरी था कि हादसे के वक्त कौन विमान चला रहा था, ताकि वे उस समय कॉकपिट में हुई घटनाओं का सही क्रम समझ सकें। इस जानकारी से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि क्रू ने आपातकाल को कैसे पहचाना और किस तरह प्रतिक्रिया दी।
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि दोनों पायलट इंजन के कटऑफ होने से चौंक गए थे, क्योंकि ये फ्यूल कंट्रोल स्विच आसानी से नहीं हिलते। अब जांच यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या यह तकनीकी खराबी थी, गलती से हुआ था, या कोई अन्य कारण था।