दिवाली के बाद लगती है अनोखी सांपों की अदालत, सांप इंसानों को काटने के कारणों का करते हैं खुलासा
punjabkesari.in Friday, Nov 01, 2024 - 03:18 PM (IST)
नेशनल डेस्क: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित सीहोर जिले के लसूड़िया परिहार गांव में हर साल दिवाली के बाद एक अद्भुत और अनोखी अदालत का आयोजन किया जाता है। इस अदालत का नाम है "सांपों की अदालत", जिसमें इंसानों की नहीं, बल्कि सांपों की पेशी होती है। यह परंपरा करीब 100 वर्षों से चली आ रही है और हर साल सर्दियों के मौसम में एक खास दिन, जिसे स्थानीय भाषा में "पड़वा" कहते हैं, इस अदालती समारोह का आयोजन होता है।
सांपों की अदालत का महत्व
लसूड़िया परिहार गांव में सांपों की अदालत का आयोजन विशेष महत्व रखता है। यहां के लोग मानते हैं कि अगर किसी को सांप काट लेता है, तो उसे इलाज के लिए अस्पताल जाने की बजाय मंदिर जाना चाहिए। मंदिर में लोग सांपों को समझाने की कोशिश करते हैं, जिससे वे भविष्य में इंसानों को न काटें। इस अद्भुत अदालत में भाग लेने के लिए हर साल बड़ी संख्या में लोग आते हैं। पिछले कुछ वर्षों में इस अदालती समारोह में लगभग 15,000 लोग शामिल हो चुके हैं, जो दर्शाता है कि यह परंपरा कितनी महत्वपूर्ण है।
अदालत में क्या होता है?
सांपों की अदालत में सांप इंसानी रूप में आते हैं और उन कारणों का खुलासा करते हैं जिनके चलते उन्होंने किसी व्यक्ति को काटा। अदालत की प्रक्रिया बहुत ही रोचक होती है। जैसे ही अदालत का आयोजन शुरू होता है, गांव के लोग एक थाली को नगाड़े की तरह बजाते हैं। यह ध्वनि सुनते ही सर्पदंश के पीड़ित लोग उत्साह में झूमने लगते हैं और अपनी बारी का इंतजार करते हैं।
पेशी के दौरान क्या होता है?
जब सर्पदंश के पीड़ित लोग अदालत में पहुंचते हैं, तो पंडित उन्हें बुलाते हैं। हर व्यक्ति अपनी कहानी बताता है कि उसे किस सांप ने काटा और कब काटा। सांप जब अपनी बात रखते हैं, तो वे मानव स्वर में बोलते हैं और बताते हैं कि उन्होंने क्यों काटा। कोई सांप कहता है, "मैंने उसे इसलिए काटा क्योंकि उसने मुझे पैर से दबा दिया था," तो कोई कहता है, "वह मुझे परेशान कर रहा था।" यह संवाद न केवल मजेदार होता है, बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि सांप भी अपने तरीके से अपनी सीमाओं को बताना चाहते हैं।
सांपों से वादा लेना
इस अदालती प्रक्रिया में सांपों से वादा लिया जाता है कि भविष्य में वे इंसानों को नहीं काटेंगे। यह एक तरह का सामाजिक अनुबंध होता है, जिसमें सांपों और इंसानों के बीच समझौता किया जाता है। इससे समुदाय में सांपों के प्रति सम्मान भी बढ़ता है और लोग उनसे डरने के बजाय उन्हें समझने की कोशिश करते हैं।
मध्यप्रदेश में सीहोर नाम का एक जिला है। इस जिले के गांव लसूड़िया परिहार में दिवाली के बाद पड़वा पर एक अनोखी अदालत लगती है। उस अदालत में इंसानों की पेशी नहीं बल्कि सांपों की पेशी की जाती है। यहां पर सांप आकर इंसानों को काटने की वजह बताते हैं। pic.twitter.com/6PnYcK5yep
— Shabnaz Khanam (@ShabnazKhanam) November 1, 2024
सांस्कृतिक धरोहर और एकता
सांपों की अदालत का यह अनोखा नज़ारा देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। यह अवसर केवल एक अदालती प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह समुदाय की एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी प्रदर्शित करता है। इस परंपरा के माध्यम से लोग मिलकर सांपों और इंसानों के बीच संवाद करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण संदेश भी देता है कि प्रकृति और मानवता के बीच एक सामंजस्य होना चाहिए।
लसूड़िया परिहार की सांपों की अदालत न केवल एक अनोखी परंपरा है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक घटना है जो सदियों से चली आ रही है और आगे भी चलती रहेगी। यह समारोह न केवल सांपों की महत्ता को समझाने में मदद करता है, बल्कि समुदाय में एक नई जागरूकता भी पैदा करता है। सांपों की अदालत एक अनूठा अनुभव है, जो हर साल लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें एक नई सोच के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है।