राम-राम से लिखी गई अनोखी रामायण, राम मंदिर में की जाएगी स्थापित
punjabkesari.in Saturday, Jan 11, 2025 - 12:59 PM (IST)
नेशनल डेस्क. मध्य प्रदेश के देवास जिले के हाटपीपल्या के दिवंगत डॉ. कल्याणमल पांडे ने भगवान श्रीराम के प्रति अपनी अनोखी भक्ति से ऐसा काम किया, जो इतिहास में दर्ज हो गया। उन्होंने राम शब्द से पूरी रामायण लिख दी। यह अनोखी रामायण अब अयोध्या के श्रीराम मंदिर में स्थापित करने की तैयारी हो रही है।
कैसे शुरू हुआ यह दिव्य कार्य
डॉ. कल्याणमल पांडे ने 17 अगस्त, 1961 को साधारण कॉपी में राम-राम लिखना शुरू किया। बाद में उन्होंने ए-4 साइज के पेज पर लिखना शुरू किया। रामायण लिखने का यह कार्य उनकी भक्ति और समर्पण का अद्भुत उदाहरण है।
22 साल की मेहनत और 13,000 पृष्ठ का ग्रंथ
डॉ. पांडे को रामायण पूरी करने में 22 साल लगे। उन्होंने इसमें सिर्फ राम शब्द का प्रयोग किया। इस ग्रंथ में 13,000 पृष्ठ हैं और इसका वजन 90 किलो है। इसके साथ ही उन्होंने गणेश, शिव, राम, दुर्गा और हनुमान की खूबसूरत तस्वीरें भी बनाई।
परिवार ने संभाला काम और विरासत
डॉ. पांडे का 1982 में निधन हो गया। तब तक उन्होंने रामायण के कई कांड पूरे कर लिए थे। उनके पुत्र कुंदन पांडे ने बाकी दो कांड पूरे किए। कुंदन के निधन (1997) के बाद इस रामायण को उनकी पत्नी मंजुला और पौत्र लव पांडे ने संभाल कर रखा।
गिनीज बुक में दर्ज कराने की इच्छा
परिवार की इच्छा है कि इस अनोखी रामायण को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया जाए। यह न केवल भारतीय संस्कृति और भक्ति का अद्भुत उदाहरण है, बल्कि दुनिया के लिए प्रेरणादायक भी है।
अयोध्या में श्रीराम मंदिर में होगी स्थापना
लव पांडे ने बताया कि यह रामायण 13 जनवरी को इंदौर में श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय को भेंट की जाएगी। इसके बाद इसे अयोध्या ले जाकर श्रीराम मंदिर में स्थापित किया जाएगा।
अनोखी रामायण की खासियत
इस रामायण में राम शब्द के अलावा कोई अन्य शब्द नहीं है।
ग्रंथ का वजन 90 किलो है और इसमें 13,000 पृष्ठ हैं।
इसमें भगवान के विभिन्न स्वरूपों की खूबसूरत तस्वीरें भी बनाई गई हैं।
परिवार की भावना
पौत्र लव पांडे ने कहा कि यह रामायण हमारे परिवार की आस्था और समर्पण का प्रतीक है। इसे श्रीराम मंदिर में स्थापित करना हमारे दादा जी की भक्ति को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
समर्पण और भक्ति का अद्भुत उदाहरण
डॉ. कल्याणमल पांडे की यह अनोखी रामायण भारतीय संस्कृति, भक्ति और समर्पण का जीता-जागता उदाहरण है। यह रामायण न केवल अयोध्या बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व की बात है।