सत्र के पहले दिन कुल 5 विधेयक पारित

punjabkesari.in Monday, Dec 26, 2022 - 07:25 PM (IST)

चंडीगढ़, 26 दिसंबर - (अर्चना सेठी) हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन आज कुल 5 विधेयक पारित किए गए। इनमें हरियाणा नगरीय अचल संपत्ति कर निरसन विधेयक,  हरियाणा लघु नगर निरसन विधेयक, हरियाणा नगर पालिका निरसन विधेयक, हरियाणा लघु नहर विधेयक, तथा हरियाणा राज्य नलकूप ) विधेयक शामिल हैं।

इसके अलावा, सदन में 10 विधेयक पेश किए गए। इनमें हरियाणा श्री माता भीमेश्वरी देवी मंदिर बेरी पूजा स्थल विधेयक, हरियाणा पंचायती राज विधेयक, हरियाणा ग्रामीण विकास विधेयक,  हरियाणा उद्यम प्रोन्नति विधेयक, , हरियाणा विधानसभा द्वितीय संशोधन विधेयक, फरीदाबाद महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक, गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण विधेयक,  हरियाणा सिख गुरुद्वारा संशोधन विधेयक,  हरियाणा नगर निगम  विधेयक तथा हरियाणा नगरपालिका विधेयक शामिल हैं।

हरियाणा नगरीय अचल संपत्ति कर निरसन विधेयक, हरियाणा नगरीय अचल संपत्ति कर अधिनियम, 1943 को निरस्त करने के लिए पारित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा न्यायमूर्ति इकबाल सिंह (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में हरियाणा संविधि समीक्षा समिति का गठन ऐसे कानूनों की पहचान करने के लिए किया गया था जो आर्थिक उदारीकरण के वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप नहीं हैं तथा जिन्हें बदलने अथवा निरस्त करने की आवश्यकता है। तदानुसार समिति ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग से सम्बन्धित हरियाणा नगरीय अचल सम्पत्ति कर (सूची विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1943, जोकि अपनी प्रासंगिकता खो चुका है, को निरस्त करने की सिफारिश की है।

सम्पत्ति कर के साथ ही अन्य लागू करों को हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 तथा हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के अनुसार ही लगाया एवं संगृहीत किया जा रहा है। इस प्रकार नगरपालिकाओं में कर विधिमान्यकरण के वर्तमान परिदृश्य के प्रावधान से निपटने के लिए हरियाणा नगरीय अचल सम्पत्ति कर (सूची विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1943 में कोई बल तथा महत्व नहीं है। इसलिये हरियाणा नगरीय अचल सम्पत्ति कर (सूची विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1943 को निरस्त किया गया है।


हरियाणा लघु नगर निरसन विधेयक, हरियाणा लघु नगर (कर विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1934 को निरस्त करने के लिए पारित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा न्यायमूर्ति इकबाल सिंह (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में हरियाणा सविधि समीक्षा समिति का गठन ऐसे कानूनों की पहचान करने के लिए किया गया था जो आर्थिक उदारीकरण के वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप नहीं है तथा जिन्हें बदलने अथवा निरस्त करने की आवश्यकता है । तदानुसार समिति ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग से सम्बन्धित हरियाणा लघु नगर (कर - विधिमान्यकरण) अधिनियन, 1934 , जोकि अपनी प्रासंगिकता खो चुका है, को निरस्त करने की सिफारिश की। सम्पत्ति कर के साथ ही अन्य लागू करों को हरियाणा नगरपालिका अधिनियम 1973 तथा हरियाणा नगर निगम अधिनियम , 1994 के प्रावधानों के अनुसार ही लगाया एवं संगृहीत किया जा रहा है । इस प्रकार नगरपालिकाओं में कर विधिमान्यकरण के वर्तमान परिदृश्य के प्रावधान से निपटने के लिए हरियाणा लघु नगर (कर -विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1934 में कोई बल तथा महत्व नहीं है। इसलिये इसे निरस्त करने की आवश्यकता थी।


हरियाणा नगर पालिका निरसन विधेयक, 2022 कतिपय अधिनियमितियों को निरस्त करने के लिए पारित किया गया है। इसके पारित होने से हरियाणा नगरपालिका (कर - विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1934 (1934 का पंजाब अधिनियम IV) तथा हरियाणा नगरपालिका (कर -विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1956 ( 1956 का पंजाब अधिनियम 34) निरसित किए गए हैं।

राज्य सरकार द्वारा न्यायमूर्ति इकबाल सिंह (सेवानिवृत्त) की अध्यक्षता में हरियाणा संविधि समीक्षा समिति का गठन ऐसे कानूनों की पहचान करने के लिए किया गया था जो आर्थिक उदारीकरण के वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप नहीं है तथा जिन्हें बदलने अथवा निरस्त करने की आवश्यकता है । तदानुसार समिति ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग से सम्बन्धित हरियाणा नगरपालिका (कर - विधिमान्यकरण ) अधिनियम, 1934 तथा हरियाणा नगरपालिका (कर - विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1956 , जोकि अपनी प्रासंगिकता खो चुके है, को निरस्त करने की सिफारिश की है। सम्पत्ति कर के साथ ही अन्य लागू करों को हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 तथा हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 के प्रावधानों के अनुसार ही लगाया एवं संगृहीत किया जा रहा है । इस प्रकार नगरपालिकाओं ने कर विधिनान्यकरण के वर्तमान परिदृश्य के प्रावधान से निपटने के लिए हरियाणा नगरपालिका (कर - विधिमान्यकरण ) अधिनियम, 1934 तथा हरियाणा नगरपालिका (कर - विधिमान्यकरण) अधिनियम, 1956 में कोई बल तथा महत्व नहीं है। इसलिए इन्हें निरस्त किया गया है।

हरियाणा लघु नहर विधेयक, हरियाणा लघु नहर अधिनियम, 1905 को निरस्त करने के लिए पारित किया गया है।अनुसूची में विनिर्दिष्ट पंजाब माइनर कैनाल अधिनियम, 1905 के अधीन अधिनियमितियों का निरसन जो लागू नहीं रह गई है या पृथक, स्वतन्त्र तथा सुभित्र अधिनियमों के रूप में उनका प्रतिधारण अनावश्यक हो, तो ऐसी अधिनियमितियों को निरसित किया जाता है। अधिनियमितियों ने वास्तविकता में अपना आशय खो दिया है, किंतु संविधि-संग्रह में अभी तक दर्शाई गई हैं। विधिया असंगत तथा दुष्क्रियात्मक हो गई हैं।

पंजाब माइनर कैनाल अधिनियम, 1905, इस समय हरियाणा के किसी भाग में लागू नहीं है। अधिनियम केवल पश्चिम पंजाब (अब पाकिस्तान का भाग) के लिए लागू किया गया था जिसके अधीन सभी शक्तियां कलक्टर में निहित है। तथापि, हरियाणा नहर तथा जल निकास अधिनियम, 1974 के अधीन ये सभी शक्तियां नहर विभाग के अधिकारियों (अधिकांश रूप में नहर अधिकारी / मण्डलीय नहर अधिकारी) में निहित हैं।


हरियाणा राज्य नलकूप विधेयक, हरियाणा राज्य नलकूप अधिनियम, 1954 को निरस्त करने के लिए पारित किया गया है। अनुसूची में विनिर्दिष्ट पंजाब राज्य नलकूप अधिनियम, 1954 के अधीन अधिनियमितियों का निरसन जो लागू नहीं रह गया है या अप्रचलित हो गया है या पृथक, स्वतन्त्र तथा सुभित्र अधिनियमों के रूप में उनका प्रतिधारण अनावश्यक हो, तो ऐसे अधिनियमितियों को निरसित किया जाता है। अधिनियमितियों ने वास्तविकता में अपना आशय खो दिया है किन्तु संविधि - संग्रह में अभी तक दर्शाया जा रहा है। विधियां असंगत तथा दुष्क्रियात्मक हो गया है। हरियाणा राज्य लघु सिंचाई तथा नलकूप निगम (एचएसएमआईटीसी) जोकि पंजाब राज्य नलकूप अधिनियम, 1954 द्वारा शासित था, वर्ष 2002 में पहले ही समाप्त किया जा चुका है तथा इस समय हरियाणा राज्य में कोई भी नलकूप निगम कार्यरत नहीं है ।

हरियाणा राज्य में राज्य के स्वामित्वाधीन नलकूप पहले ही नीलाम कर दिए गए हैं। हरियाणा राज्य में नलकूप, यदि कोई हो, विभागों द्वारा विशेष रूप से कृषि विभाग / जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभागों द्वारा उनके अपने फार्मों या घरेलू जल आपूर्ति के लिए लगाए जाते हैं तथा उन्हें संबंधित विभागों के नियमों द्वारा शासित तथा विनियमित किया जाता है तथा इस प्रकार यह अधिनियम- हरियाणा राज्य नलकूप अधिनियम , 1954 उन नलकूपों पर लागू नहीं होता है। इसके अतिरिक्त, हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबन्धन ) प्राधिकरण जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबन्धन तथा विनियमन के लिए अर्थात हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, विनियमन तथा प्रबन्धन ) प्राधिकरण, 2020 के अधीन हरियाणा राज्य में भू - जल तथा सतह जल का विवेकपूर्ण, उचित तथा सतत योग्य उपयोग, प्रबन्धन, विनियमन सुनिश्चित करने, जल के प्रयोग के लिए दरें नियम करने तथा उससे सम्बन्धित या उससे आनुषंगिक मामलों के लिए स्थापित किया गया है। राज्य सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति श्री ईकबाल सिंह ( सेवानिवृत्त ) की अध्यक्षता के अधीन हरियाणा कानून समीक्षा समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें समिति ने विभिन्न अधिनियमों के निरसन की सिफारिश की है।


 

 

 

 

 

 


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News Editor

Archna Sethi

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