गजब! सिर्फ ₹2 सालाना आय वाला परिवार ? तहसीलदार ने जारी किया इनकम सर्टिफिकेट

punjabkesari.in Tuesday, Oct 01, 2024 - 02:28 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मध्य प्रदेश के सागर जिले से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसने सभी को चौंका दिया है। यहां बंडा तहसील कार्यालय से एक व्यक्ति को केवल 2 रुपए सालाना आय का इनकम सर्टिफिकेट जारी किया गया है। यह सर्टिफिकेट तहसीलदार के हस्ताक्षर के साथ जनवरी 2024 में जारी किया गया था। जब यह सर्टिफिकेट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो लोगों के बीच इस पर चर्चा का दौर शुरू हो गया।

मामला कैसे उजागर हुआ?
सोमवार को यह सर्टिफिकेट वायरल हुआ, जिसमें स्पष्ट रूप से दिखाया गया है कि परिवार की सालाना आय मात्र 2 रुपए है। यह जानकारी मिलने पर बंडा तहसीलदार महेंद्र सिंह चौहान ने कहा, "यह मामला मेरी पदस्थापना से पहले का है। हम इसकी जांच कर रहे हैं। यदि यह संशोधित नहीं हुआ है, तो हम इसे ठीक करेंगे।"

इनकम सर्टिफिकेट का विवरण
यह सर्टिफिकेट ग्राम घूघरा के निवासी बलराम चढ़ार का है। बलराम ने जनवरी 2024 में इस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन किया था। आवेदन के समय उन्होंने अपनी आय 40,000 रुपए बताई थी, लेकिन संबंधित सेंटर में ऑनलाइन आवेदन करते समय गलती से आय को 2 रुपए दर्ज कर दिया गया। जब यह जानकारी सर्टिफिकेट बनाने की प्रक्रिया में गई, तो यह जानकारी क्लर्क से लेकर तहसीलदार तक पहुँच गई। तत्कालीन बंडा तहसीलदार ज्ञानचंद्र राय ने इस आवेदन पर हस्ताक्षर कर 8 जनवरी 2024 को सर्टिफिकेट जारी कर दिया। इस दौरान यह भी देखा गया कि तहसीलदार ने आवेदक की आय केवल 2 रुपए लिखी है, लेकिन उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया।

तहसीलदार ने दी प्रतिक्रिया
जब इस मामले में तहसीलदार ज्ञानचंद्र राय से बात की गई, तो उन्होंने इस पर कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया और फोन काट दिया। इससे यह सवाल उठता है कि क्या तहसील कार्यालय में आवेदनों की प्रक्रिया में पर्याप्त सतर्कता बरती जाती है। 

सरकारी प्रक्रिया में खामियाँ
इस मामले ने सरकारी प्रक्रिया में खामियों को उजागर किया है। कई लोग इस पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं कि कैसे इतनी गंभीर गलती प्रशासनिक स्तर पर हो सकती है। लोग पूछ रहे हैं कि क्या इस तरह के प्रमाण पत्र की सत्यता की जांच की जाती है या नहीं। 

आर्थिक सहायता देने का प्रयास 
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस तरह की घटनाएँ सरकारी सिस्टम की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं। एक ओर जहां सरकार गरीबों और जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता देने का प्रयास कर रही है, वहीं इस तरह के प्रमाण पत्र लोगों की मदद करने के बजाय उनके लिए एक मजाक बन जाते हैं। नागरिकों ने यह भी सुझाव दिया है कि इस तरह की गलतियों से बचने के लिए प्रशासन को अधिक सावधानी बरतनी चाहिए और प्रक्रिया में सुधार करना चाहिए।

यह मामला एक गंभीर संकेत है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं में गलतियाँ हो सकती हैं, लेकिन इन गलतियों को तुरंत सुधारने की आवश्यकता है। तहसील कार्यालय द्वारा इस मामले की गहन जांच की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचा जा सके। यह केवल आवेदकों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे सरकारी तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण सीख है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मुद्दे को कैसे संभालता है और क्या यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।


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Content Editor

Mahima

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