कुबेरेश्वर धाम में तीन दिन में 7 श्रद्धालुओं की मौ'त, राज्य मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट
punjabkesari.in Friday, Aug 08, 2025 - 06:23 AM (IST)

नेशनल डेस्कः मध्यप्रदेश के सीहोर जिले के कुबेरेश्वर धाम में इस सप्ताह की शुरुआत में आरंभ हुए धार्मिक आयोजन में बृहस्पतिवार को दो और लोगों की मौत हो गई, जिसके बाद इस समागम में मरने वालों की संख्या सात हो गई। सीहोर जिले के जनसंपर्क अधिकारी देवेंद्र ओगारे ने बताया कि रुद्राक्ष वितरण और कांवड़ यात्रा में हिस्सा लेने आए दिल्ली के खेड़ा कला निवासी अनिल (40) और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर निवासी उपेंद्र गुप्ता (22) की दिन में मौत हो गई।
ओगारे ने बताया कि डॉक्टरों ने बताया कि दोनों की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। प्रसिद्ध कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा से जुड़े कुबेरेश्वर धाम में रुद्राक्ष वितरण के दौरान मंगलवार को दो महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इनमें गुजरात के राजकोट की जसवंती बेन (56) और उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद की संगीता गुप्ता (48) शामिल थीं। अधिकारियों ने बताया कि बुधवार को मिश्रा की अगुवाई वाली इस कांवड़ यात्रा के दौरान तीन और श्रद्धालुओं की मौत हो गई। उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान छत्तीसगढ़ के दिलीप सिंह (57), गुजरात के चतुर सिंह (50) और हरियाणा में रोहतक के ईश्वर सिंह (65) के रूप में हुई है।
सीहोर के पुलिस अधीक्षक दीपक शुक्ला ने बताया कि तीनों लोगों की मौत स्वास्थ्य संबंधी कारणों से हुई। इस बीच, मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग (एमपीएचआरसी) ने कुबेरेश्वर धाम में इस सप्ताह के शुरू में मची भगदड़ में दो लोगों की मौत होने की मीडिया में आई खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से मामले की जांच करने को कहा। आयोग ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को 15 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है। आयोग ने कार्यक्रम के दौरान भीड़ प्रबंधन के लिए उठाए गए कदमों का विवरण भी मांगा है। एमपीएचआरसी ने मीडिया की खबरों का हवाला देते हुए कहा कि यह घटना चिटावलिया हेमा गांव में उस समय हुई जब वहां एक कथावाचक द्वारा आयोजित कांवड़ यात्रा से एक दिन पहले भारी भीड़ एकत्र हो गई।
मंगलवार सुबह वितरण काउंटर पर भगदड़ मच गई, जिसमें दो महिलाओं की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना का संज्ञान लेते हुए आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष राजीव टंडन ने बुधवार को सीहोर के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को जांच कर 15 दिनों के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है, जिसमें भीड़ प्रबंधन के उपायों, घायलों को प्रदान किए गए उपचार और मृतकों के परिवारों को दी गई वित्तीय सहायता का विवरण भी हो।