500 rupee note: फिर से होगी नोटबंदी... बंद हो जाएंगे 500 रुपये के नोट! मोदी सरकार के मंत्री का बड़ा संकेत
punjabkesari.in Monday, Jun 09, 2025 - 01:00 PM (IST)

नेशनल डेस्क: देश में एक बार फिर बड़े मूल्यवर्ग के नोटों को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। खासकर 500 रुपये के नोट को लेकर अटकलें लग रही हैं कि क्या एक और नोटबंदी की आहट सुनाई दे रही है? इस बहस को और हवा तब मिली जब केंद्र सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री ने 500 रुपये के नोट को लेकर ऐसा बयान दिया, जिसे नोटबंदी के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। पिछली बार 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने का फैसला आया था, जिसने देश की अर्थव्यवस्था और आम जनता पर गहरा असर डाला था। वहीं अब एनडीए के प्रमुख सहयोगी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने इस मुद्दे को एक नई दिशा दे दी है। उन्होंने सुझाव दिया है कि भ्रष्टाचार पर काबू पाने के लिए बड़े मूल्यवर्ग के नोटों, खासकर 500 रुपये के नोटों को भी चलन से बाहर कर देना चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि फिलहाल इन नोटों को बंद करने का कोई इरादा नहीं है।
नायडू का तर्क: छोटे नोट, कम भ्रष्टाचार
एक न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू में नायडू ने कहा कि केवल 100 और 200 रुपये के नोटों को ही प्रचलन में रखा जाना चाहिए। उनका मानना है कि जब लेन-देन छोटे नोटों के जरिए होगा, तो अवैध पैसों का प्रवाह धीमा पड़ेगा और काले धन को छिपाना मुश्किल हो जाएगा।
‘फ्रीबी कल्चर’ नहीं, उद्देश्यपूर्ण योजनाएं
नायडू ने देश में बढ़ते ‘रेवड़ी कल्चर’ यानी मुफ्त योजनाओं के चलन पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि कल्याणकारी योजनाओं को मुफ्त की रेवड़ी कहना गलत है। अगर योजनाएं सही तरीके से लागू की जाएं और उनका लाभ लक्षित वर्ग को मिले, तो ये योजनाएं समाज के विकास में सहायक होती हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर अपने पिता और आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री एन.टी. रामाराव की जनकल्याणकारी नीतियों का ज़िक्र किया।
अमरावती को विश्वस्तरीय शहर बनाने का सपना
अमरावती ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट पर विपक्ष की आलोचनाओं को नकारते हुए नायडू ने कहा कि जैसे कभी हैदराबाद की योजनाओं पर सवाल उठे थे, वैसे ही अब अमरावती को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया कि अमरावती आने वाले वर्षों में न सिर्फ भारत बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख शहर के रूप में उभरेगा। इस परियोजना को हाल ही में केंद्र से 4,200 करोड़ रुपये की सहायता भी मिली है, जो विश्व बैंक के सहयोग से जारी की गई है। नायडू ने जाति आधारित जनगणना के साथ-साथ कौशल और आर्थिक जनगणना का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आज के दौर में डेटा एक मजबूत हथियार है, जो सरकार की नीतियों को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद कर सकता है।