26/11 की 10वीं बरसी: कसाब ने अंतिम समय में कबूला था- 'आप जीते, मैं हारा'

punjabkesari.in Monday, Nov 12, 2018 - 04:53 PM (IST)

मुंबई: मुंबई पर हुए आतंकी हमले को 26 नवंबर को 10 साल हो जाएंगे, लेकिन इसके जख्म आज भी लोगों के जेहन में ताजा हैं। 26 नवंबर की तारीख को देश का कोई भी शख्स नहीं भूल सकता। 26 नवंबर, 2008 की रात अचानक मुंबई शहर गोलियों की आवाज से दहल उठा था। मुंबई पर हुए देश के सबसे भीषण आतंकी हमले में 166 लोगों की जानें गई थीं। पाकिस्तान से आए आतंकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था। इस हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों में से एक अजमल आमिर कसाब को पुलिस ने जिंदा पकड़ लिया था।
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कसाब को हमले के महज चार साल के भीतर 21 नवंबर, 2012 को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दी गई थी। कसाब से जिस सीनियर पुलिस इंस्‍पेक्‍टर रमेश महाले ने सबसे पहले पूछताछ की थी, उनके सामने अजमल ने आखिरी बार कबूला था कि आप जीत गए, मैं हार गया। भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत 80 मामलों में दोषी ठहराए गए कसाब ने अपनी फांसी से एक दिन पहले रमेश महाले के सामने यह बात कही थी। 
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द हिंदुस्‍तान टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में सर्विस से रिटायर हुए महाले ने बताया कि जब तक कसाब को कोर्ट का डेथ वारंट नहीं दिया गया, तब तक उसको यकीन था कि वह भारतीय कानून से बच जाएगा। महाले ने बताया कि जब कसाब को पकड़ा गया तो उसके करीब डेढ़ महीने बाद वे उससे एक दिन पूछताछ करने गए तो उन्होंने कसाब को कहा कि उसके गुनाहों के लिए उसे फांसी की सजा दी जा सकती है। इस पर कसाब ने कहा था कि भारतीय न्‍यायिक व्‍यवस्‍था में फांसी की सजा देना मुमकिन नहीं है। उसने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु का हवाला देते हुए कहा था कि कोर्ट द्वारा फांसी की सजा सुनाए जाने के आठ साल बाद भी उसको लटकाया नहीं जा सका है। कसाब की बात सुनकर उस दिन महाले चुप हो गए थे।
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कसाब ने कोर्ट में कहा था कि वह पाकिस्तानी है और बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन को देखने के लिए मुंबई आया था। पुलिस ने उसे उस समय पकड़ा, जब वह बच्चन के जुहू वाले बंगले के बाहर खड़ा था। पुलिस ने उसकी बाजू पर गोली चलाई, फिर लॉकअप में बंद कर दिया और इस घटना के चार दिन बाद उसके खिलाफ 26/11 का केस बना दिया। हालांकि, कसाब के सारे तर्क कोर्ट में झूठे पाए गए और 11 नवंबर, 2012 को स्‍पेशल कोर्ट ने कसाब का डेथ वारंट जारी किया था, जिसके बाद उसे यरवदा जेल भेजा गया। कसाब को  यरवदा जेल तक पहुंचाने के लिए जिस स्‍पेशल टीम को जिम्मेदारी सौंपी गई थी, उसमें महाले भी शामिल थे। तब महाले ने कसाब को उसके शब्द याद दिलाए थे और कहा था कि चार साल भी नहीं हुए और तुम्हें फांसी दी जा रही है। तब कसाब ने महाले से कहा था - "आप जीत गए, मैं हार गया"। उसके बाद कसाब मुंबई से पुणे की तीन घंटे की यात्रा के दौरान कुछ नहीं बोला। मौत का खौफ उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहा था।

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Seema Sharma

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