राजनीति जगत में बड़ा फेरबदल, 25 नेताओं ने छोड़ा शिवसेना यूबीटी
punjabkesari.in Saturday, Apr 05, 2025 - 03:31 PM (IST)

नेशनल डेस्क: बीएमसी चुनाव से पहले महाराष्ट्र की सियासत एक बार फिर गरमा गई है। उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) को बड़ा झटका लगा है, जब पार्टी के 25 पुराने और वफादार नेताओं ने डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में शिंदे गुट का दामन थाम लिया। इन नेताओं का शिवसेना से रिश्ता बालासाहेब ठाकरे के समय से रहा है, और ये सभी मुंबई के परेल और भोईवाड़ा जैसे प्रभावशाली इलाकों से आते हैं। पार्टी छोड़ने वाले प्रमुख नेताओं में विश्वनाथ बुआ खटटे, विजय कलगुटकर और काशीताई कोली जैसे दिग्गज शामिल हैं। इन नेताओं का पार्टी में खासा प्रभाव रहा है और वे कई वर्षों से जमीनी स्तर पर काम करते आ रहे थे।
सभी ने एकनाथ शिंदे के सामने शिंदे गुट की शिवसेना में शामिल होकर यह संदेश दिया है कि बीएमसी चुनाव में उद्धव ठाकरे के लिए राह आसान नहीं होगी।
बीएमसी में होगी साख की असली परीक्षा
मुंबई महानगरपालिका (BMC) पर शिवसेना का दशकों से कब्जा रहा है। लेकिन पार्टी के बंटवारे के बाद यह पहला मौका होगा जब शिवसेना यूबीटी और शिंदे गुट आमने-सामने होंगे। शिंदे गुट विधानसभा में बीजेपी के साथ मिलकर जीत दर्ज कर चुका है और अब बीएमसी पर भी अपनी सत्ता कायम करने की तैयारी में है। एकनाथ शिंदे पहले ही कह चुके हैं कि "बीएमसी में अब बदलाव तय है।"
महायुति की तैयारी जोरों पर, महाविकास अघाड़ी में भ्रम की स्थिति
महाराष्ट्र में निकाय चुनाव नजदीक आते ही सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति तय करने में जुटे हैं। बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी वाली महायुति गठबंधन की तैयारियां पूरी रफ्तार में हैं, जबकि महाविकास अघाड़ी में अभी भी गठबंधन को लेकर भ्रम की स्थिति है। कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना यूबीटी के बीच तालमेल को लेकर कोई स्पष्टता नहीं दिख रही है।
वक्फ बिल पर भी बंटी राय
राज्य में वक्फ बिल को लेकर भी राजनीतिक दलों के बीच खींचतान जारी है। उद्धव ठाकरे का गुट इस बिल के विरोध में उतर आया है और मुस्लिम समुदाय की सहानुभूति हासिल करने की कोशिश कर रहा है।वहीं शिंदे गुट इस बिल के पक्ष में है और दावा कर रहा है कि यह गरीब मुस्लिमों के हित में है। यह मुद्दा बीएमसी चुनाव के दौरान मुस्लिम बहुल इलाकों में वोटों को प्रभावित कर सकता है।
बीएमसी चुनाव में किसका होगा वर्चस्व?
BMC पर कब्जा सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि मुंबई की नाक कही जाने वाली इस संस्था पर नियंत्रण की लड़ाई है। बीएमसी का बजट कई छोटे राज्यों से भी बड़ा होता है। ऐसे में इसमें जीतने वाले दल को बड़ी राजनीतिक ताकत मिलती है।शिवसेना यूबीटी के लिए यह चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई है, वहीं शिंदे गुट इसे अपने नेतृत्व को स्थापित करने का सबसे बड़ा मौका मान रहा है।