Diwali Date 2025: ज्योतिर्विदों ने दूर किया दीवाली की तारीख को लेकर बड़ा कन्फ्यूजन, जानें सही तारीख और पूजा का शुभ मुहूर्त
punjabkesari.in Friday, Oct 17, 2025 - 04:58 PM (IST)

नेशनल डेस्क: इस साल दिवाली को लेकर लोगों के मनों में क्न्फयूजन बनी हुई है। दिवाली 20 अक्टूबर को मनाए या फिर 21 तिथि को लेकर लोग काफी अस्मंजस्म में हैं। इस लेकर ज्योतिर्विदों ने कन्फ्यूजन दूर किया है। आइए जानते हैं कि दिवाली किस दिन मनाना सबसे फलदायी होगा और लक्ष्मी-गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा।
20 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी दीपावली
ज्योतिर्विदों के अनुसार इस बार दिवाली 20 अक्टूबर को मनाना ही सबसे शुभ और फलदायी रहेगा।
ये है कारण:
दीपावली कार्तिक अमावस्या तिथि को मनाई जाती है। कार्तिक अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर हो रही है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दिवाली की प्रदोष काल व्यापिनी तिथि 20 अक्टूबर को ही प्राप्त हो रही है। 21 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजन का सही मुहूर्त उपलब्ध नहीं हो रहा है, क्योंकि उस दिन तीन प्रहर से अधिक अमावस्या नहीं रहेगी। सर्वमान्य रूप से दिवाली का पर्व 20 अक्टूबर 2025 को ही मनाया जाएगा। यानी आपको लक्ष्मी पूजन के लिए मुख्य रूप से 1 घंटे 11 मिनट का शुभ समय मिलेगा।
पूजा का मुहूर्त-
दिवाली पूजन की सरल विधि
दिवाली पर पूजा के लिए आप पूर्व दिशा या ईशान कोण में एक चौकी रखें और उस पर लाल या गुलाबी वस्त्र बिछाएं।
1. चौकी पर पहले गणेश जी और उनके दाहिने ओर लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित करें।
2. आसन पर बैठकर अपने चारों ओर जल छिड़क कर शुद्धिकरण करें और संकल्प लेकर पूजा शुरू करें।
3. एक मुखी घी का दीपक जलाएं।
4. मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को फूल और मिठाइयां अर्पित करें।
5. सबसे पहले गणेश और फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
6. अंत में आरती करें और शंख ध्वनि ज़रूर करें।
7. घर में दीये जलाने से पहले थाल में पांच दीपक रखकर फूल आदि अर्पित करें। इसके बाद ही घर के अलग-अलग हिस्सों, कुएं के पास और मंदिर में दीपक रखना शुरू करें।
8. वस्त्र का ध्यान रखें: पूजन के लिए लाल, पीले या चमकदार रंग के वस्त्र पहनना शुभ होता है। काले, भूरे या नीले रंग से बचें।
दिवाली का महत्व
दिवाली को दीपावली भी कहा जाता है और यह प्रकाश का पर्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान राम 14 वर्ष का वनवास पूरा करके लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद अयोध्या लौटे थे। इस खुशी में हर साल कार्तिक अमावस्या पर दीप जलाए जाते हैं और माता लक्ष्मी व भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है।
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