रविवार के दिन करें पूजन, होगी वैभव अौर संतान सुख की प्राप्ति

punjabkesari.in Sunday, Jul 31, 2016 - 01:45 PM (IST)

परमेश्वर शिव का जीवात्मा स्वरुप रुद्र कहलाता है। सृष्टि के प्रारंभ और विनाश में मात्र शिव ही शेष रहते हैं। शिव सृष्टि के सृजन से लेकर सृष्टि के प्रलय तक पुनः सृष्टि के प्रलय से लेकर सृष्टि के सृजन के बीच नृत्य करते हैं। जब सूर्य डूब जाता है, प्रकाश समाप्त हो जाता है, छाया मिट जाती है और जल नीरव हो जाता है उस समय यह नृत्य आरंभ होता है। तब अंधकार समाप्त हो जाता है और ऐसा माना जाता है कि उस नृत्य से जो आनंद उत्पन्न होता है वही ईश्वरीय परमानंद है। शिव के साकार स्वरुप में उनके तीन नेत्र हैं, पहला सूर्य दूसरा चंद्रमा तीसरा अग्नि। वेदोक्त सूर्यदेव शिव का नेत्र है जिससे सृष्टिकर्ता शिव अपनी शक्ति के माध्यम से इस संसार को पोषित करते हैं। संपूर्ण ब्रह्मांड की सर्व शक्तियां दश महाविद्या के रूप में शिव से उत्पन्न होती हैं तथा शिव में ही समाहित हो जाती हैं। दश महाविद्या का चतुर्थ स्वरुप भुवनेश्वरी अथवा राजराजेश्वरी कहलाता है। ये आद्या शक्ति सूर्य की अधिष्ठात्री हैं अर्थात मूल प्रकृति कहलाती हैं तथा संसार इन्हें शताक्षी तथा शाकम्भरी के नाम से भी जानता है। परमेश्वरी भुवनेश्वरी शिव संग अपने हाथ में लिए गए शाकों और फल-मूल से प्राणियों का पोषण करती हैं। शिव के साकार स्वरुप में यहां वो भुवनेश्वर कहलाते हैंं तथा उनकी शक्ति भुवनेश्वरी कहलाई जाती है। सावन के विशेष लेख में हम आपको शिव-भुवनेश्वरी का उपाय और पूजन बता रहे हैं। परमेश्वर शिव के माध्यम से परमेश्वरी भुवनेश्वरी की उपासना संतान सुख, वैभव, धन और वर्चस्व प्राप्ति के लिए विशेष फलप्रदा है।

 

उपाय और विशिष्ट पूजन: रविवार के दिन सुबह नित्यकर्म से निवृत होकर किसी शिवालय में जाएं अथवा घर के पूजास्थल में विराजित अथवा पारद शिवलिंग का विधिवत पूजन करें। संभवतः लाल और पीले रंग के कपड़े पहनें। पूर्व मुखी होकर बैठें तथा पूजा हेतु कुशा का आसान इस्तेमाल करें। नारियल के तेल में रक्त चंदन मिलाकर  दीपक करें। गूगल से धूप करें। गेंहू शिवलिंग पर अर्पित करें। धतुरे के पुष्प शिवलिंग पर अर्पित करें। लाल चंदन से शिवलिंग पर त्रिपुंड बनाएं। पानी में गुड़ मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें तथा जायफल हाथ में लेकर इस मंत्र का 108 बार जाप करें।

 

मंत्र: ह्रीं ॐ भुवनेश्वाय सर्वलोकविभूषणाय नमः शिवाय ह्रीं।। 

 

जाप पूरा होने के बाद जायफल घर की पूर्व दिशा में छुपाकर रख दें। इस उपाय से निश्चित ही आपके संतान सुख में वृद्धि होगी, जीवन वैभवशाली बनेगा, अपार धन की प्राप्ति होगी तथा सामाजिक वर्चस्व बढ़ेगा। शिव और शक्ति दोनों का आशीर्वाद आपको प्राप्त होगा। परमेश्वर शिव जगतपिता है। बस आवश्यकता है हमें अपने ईश्वर पर निष्ठां और विश्वास रखने की।

 

आचार्य कमल नंदलाल 

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com


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