आज बन रहे हैं विशेष योग जानें कैसे मंगल काटेगा आपके जीवन का अमंगल

punjabkesari.in Tuesday, Aug 11, 2015 - 08:24 AM (IST)

ज्योतिषशास्त्र अनुसार भूमिपुत्र मंगल दांपत्य सुख का बाधक कहलाता है। मंगल के प्रभाववश न केवल विवाह में देरी ही होती है, अपितु कभी-कभी दांपत्य संबंध भी टूट जाता है। वैदिक ज्योतिष अनुसार व्यक्ति की जन्मकुंडली में लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में मंगल हो, तो मांगलिक योग बनता है। व्यक्ति की जन्मकुंडली में सातवां भाव विवाह एवं दांपत्य सुख का सूचक होता है। इस योग में लग्न, चतुर्थ या द्वादश स्थान में स्थित मंगल अपनी दृष्टि से सप्तम भाव को प्रभावित करता है जबकि सप्तम भाव में स्थित मंगल अपनी युति से उसे प्रभावित करता है। दक्षिण भारत में इस योग के उक्त पांच भावों में से लग्न के स्थान पर द्वितीय भाव का ग्रहण कर इस योग का विचार किया जाता है। दक्षिण में इस योग को कुजा दोष कहा जाता है। शनि राहू व केतू दांपत्य जीवन में असाधारण रूप से विवाहित समस्याएं व बाधाएं उत्पन्न करते हैं। मंगल, शनि राहू व केतू का त्रिक भाव में आने पर संबंध विच्छेद का योग बनता है। 

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ज्योतिषीय दृष्टिकोण अनुसार मंगलवार दिनांक 11.08.15 को अद्भुत ज्योतिष संजोग बन रहे हैं। इस दिन वैवाहिक जीवन से संबन्धित तीन प्रमुख ग्रह न्यायधीश शनि, छायाग्रह केतू और नवग्रह सेनापति मंगल तीनों के तीनों ग्रह संयोगवश शनि के नक्षत्र में विद्यमान हैं। शनिदेव मंगल की राशि वृश्चिक में अपने ही नक्षत्र अनुराधा में गोचर कर रहे हैं। मोक्षप्रदायक केतू अपनी उच्च राशि मीन में शनि के नक्षत्र उत्तराभद्रपद में गोचर कर रहे हैं तथा मंगलदेव नीच अवस्था में चंद्रमा की राशि कर्क में शनि के नक्षत्र पुष्य में गोचर कर रहे हैं। यह तीनों ग्रह एक-दूसरे से पंचम-नवम के कोण पर स्थित हैं। वैदिक ज्योतिष में इस अवस्था को त्रिकोण संबंध भी कहा जाता है। शनि-मंगल-केतू के इस संबंध से त्रिकोण नक्षत्र संबंध से मूलतः सभी 12 राशियों को प्रभावित हो रही है। मंगलवार दिनांक 11.08.15 का दिन मंगल, शनि, राहू केतू से उत्पन्न विवाह बाधा, गृहकलेश, कटु सांसरिक संबंध, संबंध विच्छेद व खंडित संबंध की समस्याओं के निदान हेतु सर्वश्रेष्ठ हैं।

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शास्त्रनुसार श्रावण माह के मंगलवार के दिन मंगला गौरी पूजन का विधान है। मतानुसार देवी गौरी के मंगला स्वरूप के पूजन से मनुष्य के सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। कुंवारों को मनभावन वर-वधू प्राप्त होते हैं व शादीशुदा व्यक्तियों का दांपत्य जीवन सुखी रहता है। मंगला गौरी के विशिष्ट पूजन से विवाह में आ रहे विलंब दूर होते हैं, गृहकलेश की स्थिति समाप्त होती है, सांसरिक संबंध मधुर बनते हैं, डाइवोर्स तथा सेपरेशन से संबन्धित ज्योतिष योग शांत होते हैं। इनके पूजन से विधवा व विधुर योग से मुक्ति मिलती है। जीवनसाथी से संबंध मधुर बनते हैं तथा जीवनसाथी के प्राणो की सुरक्षा भी होती है। इस विशेष पूजन में देवी मंगला गौरी के साथ शिव गणेश कार्तिके, नंदी, हनुमान जी, तथा भैरव का पूजन किया जाता है। इस पूजन में अंक 16 का बड़ा महत्व है। पूजन में 16 ही वस्तुएं सोलह की संख्या में देवी पर अर्पित की जाती हैं जैसे फूल, लड्डू, फल, पान के पत्ते, सुपारी, चूड़ियां इठड़ी 16 ही वस्तुएं देवी मंगला गौरी को अर्पित की जाती हैं।

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मंगला गौरी मंत्र अनुष्ठान वैवाहिक जीवन हेतु अचूक उपाय है। इसका परंपरागत मंत्र, विनियोग, न्यास, ध्यान, पूजन यंत्र एवं विधि इस प्रकार हैं। नित्य कर्मों से निवृत्त होकर आचमन एवं मार्जन कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर अष्ट गंध एवं चमेली की कलम से भोजपत्र पर लिखित मंगला गौरी  यंत्र स्थापित कर विधिवत विनियोग, न्यास एवं ध्यान कर पंचोपचार से उस पर श्री मंगला गौरी का पूजन कर उक्त मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र की जप संख्या 64,000 है। लाल आसन पर उत्तराभिमुख बैठकर प्रसन्न भाव से अनुष्ठान करें। विश्वासपूर्वक विनियोग, श्रद्धापूर्वक पूजन एवं मनोयोगपूर्वक जप करने से अनुष्ठान सफल होता है।

मंत्र: ह्रीं मंगले गौरि विवाहबाधां नाशय स्वाहा। 

ध्यान: कुमकुमागुरु तिपतांगा सर्वआवरण भूषितम् नीलकंठ प्रयाम गौरीम् वंदम मंगलावयम्॥

विनियोग: अस्य श्री मंगला गौरि मन्त्रस्य अजऋषिः गायत्री छन्दः श्री मंगलागौरि देवता ह्रीं बीजं स्वाहा शक्तिः ममाभीष्टं सिद्धये जपे विनियोगः।

ऋष्यादि न्यास: अजाय ऋषये नमः शिरसि। गायत्री छन्दसे नमः मुखे। मंगला गौरि 

देवतायै नमः हृदि। ह्रीं बीजाय नमः गुह्ये। स्वाहा शक्तये नमः पादयोः।

करन्यास: अंगुष्ठाभ्यां नमः। ह्रीं तर्जनीभ्यां नमः। मंगले गौरि मध्यमाभ्यां नमः। 

विवाहबाधां अनामिकाभ्यां नमः। नाशय कनिष्ठिकाभ्यां नमः। स्वाहा करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।

अंगन्यास: हृदयाय नमः। ह्रीं शिरसे स्वाहा। मंगले गौरि शिखायै वषट्। विवाह बाधां कवचाय हुम्। नाशय नेत्रत्रयाय वौषट्। स्वाहा अस्त्राय फट्।

आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

 


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