घटते भूजल स्तर के हिसाब से सिंचाई नीति बनाने की जरूरतः आरबीआई लेख
punjabkesari.in Tuesday, May 17, 2022 - 09:08 PM (IST)

मुंबई, 17 मई (भाषा) भारत को घटते भूजल स्तर को देखते हुए अपनी सिंचाई नीति नए सिरे से बनाने की जरूरत है, जिसमें प्रौद्योगिकी दखल की भी अहम भूमिका होगी। आरबीआई बुलेटिन के नवीनतम अंक में प्रकाशित एक लेख में इस पर जोर दिया गया है।
मंगलवार को प्रकाशित इस लेख में कहा गया है कि सूखे एवं घटते भूजल स्तर के मामले में तेजी के बीच टिकाऊ कृषि के लिए समुचित सिंचाई सुविधाएं सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है।
‘टिकाऊ कृषि के लिए सिंचाई प्रबंधन’ शीर्षक से प्रकाशित इस लेख में क्षेत्र-भारित लागत और सिंचाई में सक्षमता के रुझानों का विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2002 से लेकर 2018 के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित ‘खेती की समग्र लागत’ संबंधी आंकड़ों के जरिये कृषि के लिहाज से अहम 19 राज्यों की स्थिति को परखा गया है।
आरबीआई के इस लेख के मुताबिक, इस अवधि में क्षेत्र-भारित लागत में गिरावट आई है लेकिन इसकी वजह तमाम राज्यों में बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी है। कुछ राज्यों में यह लागत अब भी काफी अधिक है।
इसके साथ ही राज्यों से सिंचाई संबंधी तकनीकी समाधानों की दिशा में आगे बढ़ने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि अधिकांश राज्य इस पैमाने पर पिछड़ते हुए दिखाई दिए हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
मंगलवार को प्रकाशित इस लेख में कहा गया है कि सूखे एवं घटते भूजल स्तर के मामले में तेजी के बीच टिकाऊ कृषि के लिए समुचित सिंचाई सुविधाएं सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है।
‘टिकाऊ कृषि के लिए सिंचाई प्रबंधन’ शीर्षक से प्रकाशित इस लेख में क्षेत्र-भारित लागत और सिंचाई में सक्षमता के रुझानों का विश्लेषण किया गया है। वर्ष 2002 से लेकर 2018 के दौरान कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित ‘खेती की समग्र लागत’ संबंधी आंकड़ों के जरिये कृषि के लिहाज से अहम 19 राज्यों की स्थिति को परखा गया है।
आरबीआई के इस लेख के मुताबिक, इस अवधि में क्षेत्र-भारित लागत में गिरावट आई है लेकिन इसकी वजह तमाम राज्यों में बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी है। कुछ राज्यों में यह लागत अब भी काफी अधिक है।
इसके साथ ही राज्यों से सिंचाई संबंधी तकनीकी समाधानों की दिशा में आगे बढ़ने का अनुरोध करते हुए कहा गया है कि अधिकांश राज्य इस पैमाने पर पिछड़ते हुए दिखाई दिए हैं।
यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।
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