जून में घटी UPI ट्रांजैक्शन की रफ्तार, मई के रिकॉर्ड के मुकाबले 1.5% गिरावट
punjabkesari.in Wednesday, Jul 02, 2025 - 01:55 PM (IST)

नई दिल्लीः भारत के डिजिटल भुगतान सिस्टम की रीढ़ माने जाने वाले यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) में जून 2025 में मामूली गिरावट देखने को मिली है। मई में रिकॉर्ड 18.68 अरब ट्रांजैक्शंस के बाद जून में यह संख्या घटकर 18.4 अरब रह गई, जो कि 1.5 प्रतिशत की गिरावट है। ट्रांजैक्शन वैल्यू की बात करें तो जून में कुल ₹24.04 लाख करोड़ का लेन-देन हुआ, जबकि मई में यह आंकड़ा ₹25.14 लाख करोड़ था यानी ट्रांजैक्शन वैल्यू में भी 4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
हालांकि, साल-दर-साल तुलना करें तो जून 2024 की तुलना में जून 2025 में UPI ट्रांजैक्शन की संख्या में 32 प्रतिशत और ट्रांजैक्शन वैल्यू में 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। जून में औसतन हर दिन 613 मिलियन ट्रांजैक्शन हुए, जो मई के 602 मिलियन की तुलना में थोड़ा ज्यादा है। हालांकि, प्रति दिन की वैल्यू ₹80,131 करोड़ रही, जो मई के ₹81,106 करोड़ से कम है।
IMPS यानी इमीडिएट पेमेंट सर्विस में भी गिरावट देखने को मिली। मई में जहां 464 मिलियन लेनदेन हुए थे, जून में यह घटकर 448 मिलियन रह गए। ट्रांजैक्शन वैल्यू भी ₹6.41 लाख करोड़ से घटकर ₹6.06 लाख करोड़ पर आ गई। इसी तरह, डिजिटल टोल भुगतान प्रणाली FASTag में भी जून में कमी आई है। कुल 386 मिलियन ट्रांजैक्शन दर्ज किए गए, जबकि मई में यह आंकड़ा 404 मिलियन था। ट्रांजैक्शन की वैल्यू भी ₹7,087 करोड़ से घटकर ₹6,793 करोड़ रह गई।
Aadhaar Enabled Payment System (AePS) के जरिए भी ट्रांजैक्शन में गिरावट देखी गई। जून में कुल 97 मिलियन ट्रांजैक्शन हुए, जो मई के 105 मिलियन से 8 प्रतिशत कम हैं। ट्रांजैक्शन वैल्यू ₹26,616 करोड़ रही, जो पिछले महीने के ₹28,703 करोड़ की तुलना में 7 प्रतिशत कम है।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट सीजनल यानी मौसमी हो सकती है और इससे भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था के दीर्घकालिक विकास पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। एयरपे पेमेंट सर्विसेज के संस्थापक कुणाल झुनझुनवाला ने कहा कि भारत का डिजिटल भुगतान तंत्र वैश्विक मानकों से कहीं आगे निकल चुका है और देश अब डिजिटल परिपक्वता के दूसरे चरण की ओर बढ़ रहा है। वहीं, वर्ल्डलाइन इंडिया के ऑपरेशंस हेड रामकृष्णन राममूर्ति ने कहा कि जून का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि भारत में कम लागत, सुरक्षित और इंटरऑपरेबल डिजिटल भुगतान प्रणाली को लेकर भरोसा लगातार गहराता जा रहा है।
भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था भले ही जून में थोड़ी धीमी रही हो, लेकिन दीर्घकालिक रफ्तार अब भी कायम है और आने वाले महीनों में इसके और तेज़ होने की उम्मीद है।