आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने की हड़बड़ी के बीच इस सप्ताह होगी मौद्रिक नीति समिति की बैठक

punjabkesari.in Sunday, Aug 02, 2020 - 05:53 PM (IST)

मुंबई, दो अगस्त (भाषा) कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था को वृद्धि की राह पर लौटाने की हड़बड़ी तथा उद्योग संगठनों की एक बार के ऋण पुनर्गठन की जोर पकड़ती मांग के बीच इस सप्ताह रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक होने जा रही है।

हालांकि विशेषज्ञों के बीच इस बात को लेकर एकराय नहीं है कि समिति इस सप्ताह की बैठक में नीतिगत दर में कटौती करेगी या नहीं। कई विशेषज्ञों की राय है कि मौजूदा स्थिति में कर्ज का एक बार पुनर्गठन अधिक आवश्यक है।

रिजर्व बैंक के गवर्नर की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की बैठक चार अगस्त को शुरू होगी। समिति बैठक के नतीजों की घोषणा छह अगस्त को करेगी।

रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था पर कोरोना वायरस महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये लागू लॉकडाउन के असर को सीमित करने के लिये पिछले कुछ समय से लगातार सक्रियता से कदम उठा रहा है। तेजी से बदलती वृहद आर्थिक परिस्थिति तथा वृद्धि के बिगड़ते परिदृश्य के कारण रिजर्व बैंक की दर निर्धारण समिति को पहले मार्च में और फिर मई में समय से पहले ही बैठक करने की जरूरत पड़ी थी।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा गया कि फरवरी के बाद से रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। बैंकों ने भी नये कर्ज पर 0.72 प्रतिशत तक ब्याज को सस्ता किया है। कुछ बड़े बैंकों ने तो 0.85 प्रतिशत तक का लाभ ग्राहकों को दिया है। यह संभवत: भारतीय इतिहास में सबसे तेजी से राहत दिये जाने का मामला है। उसने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि अगस्त में शायद ही नीतिगत दर में कटौती हो।’’
हालांकि कुछ बैंकों समेत विशेषज्ञों के एक धड़े का मानना है कि रिजर्व बैंक इस बार भी कम से कम 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।

उल्लेखनीय है कि मांस, मछली, खाद्यान्न और दालों की अधिक कीमतों के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जून में 6.09 प्रतिशत पर पहुंच गयी। हालांकि रिजर्व बैंक को सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत (दो प्रतिशत ऊपर या नीचे) के दायरे में रखने का लक्ष्य दिया है। रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति निर्धारित करते समय मुख्य रूप से सीपीआई पर गौर करता है।

पीडब्ल्यूसी के पार्टनर एवं लीडर (वित्तीय जोखिम एवं नियमन) कुंतल सुर ने कहा कि मौद्रिक नीति समिति ने उदार रुख अपनाते हुए पिछले एक साल में रेपो दर को 1.35 प्रतिशत कम किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘वृद्धि की प्राथमिकता को देखते हुए हम नरम रुख जारी रहने की उम्मीद करते हैं। हालांकि, प्रणाली में पर्याप्त तरलता है और दरों में कटौती का लाभ ग्राहकों को दिया जा रहा है, ऐसे में दरों में कमी पर विराम लग सकता है।"
उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि मौजूदा नरम आर्थिक माहौल में रिजर्व बैंक को राजकोषीय घाटे को बढ़ने से रोकने के लिए नियामकीय छूटों पर ध्यान देना चाहिये। उन्होंने कहा, ‘‘बैंकों और वित्तीय संस्थानों को सभी सावधि ऋण के पुनर्गठन की एक बार की सुविधा प्रदान करने की अनुमति दी जा सकती है, ताकि कंपनियां वापस पटरी पर आ सकें। सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) के लिये ऋण गारंटी योजना ने बेहतर परिणाम दिये हैं।’’
लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन के पार्टनर गौरव दयाल ने एसबीआई की इकोरैप रिपोर्ट की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति दरों को अपरिवर्तित छोड़ सकती है। हालांकि रिजर्व बैंक वृद्धि को गति देने के उद्देश्य से कुछ कटौती कर हमें चकित भी कर सकता है।

एसबीएम बैंक इंडिया के प्रमुख (ट्रेजरी) मंदार पिटाले ने कहा कि पिछली बैठक की विस्तृत जानकारियों में मौद्रिक नीति समिति के एक सदस्य ने संकेत दिया था कि भविष्य में स्थिति सामान्य होने पर कटौती करने की कुछ गुंजाइश को अभी बचाकर रखा जा सकता है। हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी रिवर्स रेपो दर में कुछ कटौती की गुंजाइश है।



यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

सबसे ज्यादा पढ़े गए

Edited By

PTI News Agency

Recommended News

Related News