अनजाने में न बनें पाप के भागीदार, निर्जला एकादशी से अगले दिन अवश्य करें...

punjabkesari.in Thursday, Jun 16, 2016 - 08:03 AM (IST)

एकादशी का व्रत जब समाप्त किया जाता है तो उसे पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन यानि द्वादशी को सूर्योदय के उपरांत पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि के खत्म होने से पूर्व ही कर लेना चाहिए। किन्हीं विशेष योगों के तहत अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो गई हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के उपरांत ही होता है। द्वादशी तिथि के अंदर पारण न करना अनजाने में व्यक्ति को अपराध व पाप करने के समान फल देता है। 

 

एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत तोड़ने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत तोड़ने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्यान के बाद पारण करना चाहिए। 

 

कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।

 

निर्जला एकादशी को करने से वर्ष भर में पड़ने वाली 24 एकादशियों के व्रत के समान फल मिलता है। द्वादशी में स्नान करने के पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवा कर शुद्ध पारण के समय के अनुसार व्रत को खोलें।

 

पारण का शुभ समय

निर्जला एकादशी के दिन का चौघडिय़ा मुहूर्त

17 जून को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय- 05:24 से 08:12

पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय- 12:09

एकादशी तिथि प्रारम्भ: 15 जून 2016 को 07:26 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 16 जून 2016 को 09:54 बजे


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Recommended News

Related News