देवशयनी एकादशी कल: जानिए व्रत विधि, महत्व, पुण्य फल और पारण समय

punjabkesari.in Thursday, Jul 14, 2016 - 09:15 AM (IST)

शास्त्रानुसार प्रत्येक मास के दो पक्षों में 2-2 एकादशियां यानि साल भर के 12 महीनों में 24 एकादशियां आती हैं परंतु जो मनुष्य इस पुण्यमयी देवशयनी एकादशी का व्रत करता है अथवा इसी दिन से शुरू होने वाले चातुर्मास के नियम अथवा किसी और पुण्यकर्म करने का संकल्प करके उसका पालन करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। जिस कामना से कोई इस व्रत को करता है वह अवश्य पूरी होती है। इसी कारण इसे मनोकामना पूरी करने वाला व्रत भी कहा जाता है। 
 
व्रत में क्या करें
प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर अपनी दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होकर कमल नेत्र भगवान विष्णु जी को पीत वस्त्र ओढ़ाकर धूप, दीप, नेवैद्य, फल और मौसम के फलों से विधिवत पूजन करना चाहिए तथा विशेष रूप से पान और सुपारी अर्पित करनी चाहिएं। शास्त्रानुसार जो भक्त कमल पुष्पों से भगवान विष्णु का पूजन करते हैं उन्हें तीनों लोकों और तीनों सनातन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पूजन एक साथ ही करने का फल प्राप्त होता है।   
 
इस व्रत में ब्राह्मणों को दान आदि देने का अत्यधिक महत्व है। स्वर्ण अथवा पीले रंग की वस्तुओं का दान करने से अत्यधिक पुण्य फल प्राप्त होता है। जब तक भगवान विष्णु शयन करते हैं तब तक के चार महीनों में सभी को धर्म का पूरी तरह से आचरण करना चाहिए। रात्रि में भगवान विष्णु जी की महिमा का गुणगान करते हुए जागरण करना, मंदिर में दीपदान करना अति उत्तम कर्म है।  
 
क्या कहते हैं संत महात्मा?
महात्मा अमित चड्ढा के अनुसार एकादशी व्रत का पारण 16 जुलाई को प्रात: 7.29 और 9.30 के बीच के समय में किया जाना चाहिए तथा दान सदा सुपात्र को देना चाहिए क्योंकि कुपात्र को दान देने वाला भी नरकगामी बनता है। दान देते समय मन में किसी प्रकार के अभिमान, अहंकार यानि कर्ता का भाव नहीं रखना चाहिए बल्कि विनम्र भाव से अथवा गुप्त दान का अधिक फल है।  
प्रस्तुति : वीना जोशी, जालंधर
veenajoshi23@gmail.com 

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