दुनिया का ध्यान उत्तर कोरिया के खतरे पर, चीन का फोकस कहीं और

punjabkesari.in Saturday, Dec 16, 2017 - 12:08 PM (IST)

बीजिंगः अमरीका समेत जहां दुनिया का ध्यान उत्तर कोरिया से परमाणु खतरे की तरफ है वहीं  चीन का फोकस कहीं और है। दरअसल चीन विवादित द्वीपों में अपना निर्माण कार्य धड़ल्ले से जारी रखे हुए है। दक्षिण चीन सागर (SCS) में चीन द्वारा कृत्रिम द्वीप बनाने से पैदा हुआ तनाव अब भले ही शांत हो लेकिन पेइचिंग अपने काम में लगा हुआ है।  सैटलाइट से ली गईं नई तस्वीरों से पता चला है कि चीन ने 2017 में स्प्रैटली और पैरासेल द्वीपों पर 72 एकड़ क्षेत्र में इन्फ्रस्ट्रक्चर का निर्माण कर चुका है। इसे चीन अपनी वायुसेना और नौसेना के लिए बेस के तौर पर विकसित कर रहा है।
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वॉशिंटगटन स्थित एशिया मैरिटाइम ट्रांसपेरेंसी इनिशिएटिव दक्षिण चीन सागर में हो रही हलचलों का बारीकी से अध्ययन किया है। उसने गुरुवार को कहा कि चीन ने दक्षिण चीन सागर में द्वीपों पर विमानों को रखने के हैंगर, अंडरग्राउंड स्टोरेज, मिसाइल शेल्टरों, रेडार और दूसरी सुविधाओं का निर्माण कर लिया है। चीन की ये गतिविधियां ऐसे वक्त सामने आईं हैं जब वह दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के साथ दक्षिण चीन सागर को लेकर 'कोड ऑफ कंडक्ट' पर सहमति बनाने के लिए बातचीत को कोशिश कर रहा है। दक्षिण चीन सागर में पेइचिंग की गतिविधियों की वॉशिंगटन आलोचना करता रहा है लेकिन इस मुद्दे पर चीन और अमरीका के बीच तनाव कम हो चुका है। 
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स्प्रैटली द्वीप में चीन का मौजूदा निर्माण पिछले निर्माण का दूसरा चरण है। पिछला निर्माण 2016 की शुरुआत में पूरा हो चुका था। स्प्रैटली द्वीप समूह पर चीन के अलावा मलयेशिया, ताइवान, फिलीपींस, वियतनाम और ब्रुनेई भी अपना दावा करते हैं। अमरीकी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक चीन ने दक्षिण चीन सागर के द्वीपों पर 3,200 एकड़ जमीन पर कब्जा कर रखा है। अमरीका और दूसरे देशों ने पेइचिंग पर दक्षिण चीन सागर पर दावे के जरिए क्षेत्र के सैन्यीकरण और भूगोल को बदलने का आरोप लगाया है। चीन का कहना है कि स्प्रैटली में मानवनिर्मित द्वीपसमूह मुख्यतः नागरिक उद्देश्यों के लिए हैं जिसका मकसद मछली पकड़ने और मैरिटाइम ट्रेड को सुरक्षा देना है। हालांकि इन द्वीपों पर चीन ने हवाईपट्टियां और सैन्य प्रतिष्ठान बना रखे हैं। 

इनिशिएटिव के डायरेक्टर ग्रेग पोलिंग ने कहा कि ट्रंप प्रशासन का फिलहाल दक्षिण चीन सागर पर फोकस नहीं है क्योंकि अभी उसका ध्यान उत्तर कोरिया से परमाणु खतरे और चीन के साथ ट्रेड से जुड़े विवादों पर है। उन्होंने कहा कि दक्षिण चीन सागर का मसला भले ही अखबारों की सुर्खियों से गायब है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि चीन ने अपना रुख नरम किया है। चीन उन सभी निर्माण को जारी रखा है जिसे वह बनाना चाहता है। सबसे ज्यादा निर्माण स्प्रैटील के फेयरी क्रॉस रीफ पर हुआ है। यहां 10 हजार फुट (3 हजार मीटर) में हवाईपट्टी बनी है। इसके अलावा जमीन के नीचे ढांचे बने हैं जिनको शायद युद्ध सामग्री या दूसरे सामानों को रखने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा मिसाइलों को रखने के शेल्टर्स, संचार और रडार सिस्टम बनाया गया है। 


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