कौन है भारतीय महिला निमिषा प्रिया? जिसे यमन में 17 जुलाई को हो सकती है फांसी, क्या है आरोप

punjabkesari.in Thursday, Jul 10, 2025 - 05:52 AM (IST)

कोच्चि/नई दिल्लीः यमन में भारत की महिला निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जा सकती है। उनके बचाव का अंतिम प्रयास किया जा रहा है। निमिषा केरल की रहने वाली हैं और 37 साल की हैं। फिलहाल निमिषा यमन के ही जेल में बंद हैं। आइए जानते हैं कि आखिर ये पूरा मामला क्या है।

आरोप: व्यवसायी पार्टनर की हत्या

  • 2017 में यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी की मौत के आरोप में निमिषा को गिरफ्तार किया गया।

  • दावा है कि उन्होंने मेहदी की पासपोर्ट वापसी के दौरान नशीली दवा का प्रयोग किया, जिसके चलते उनकी मृत्यु हुई।

  • 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई, जिसे सप्रीम कोर्ट ने 2023 में बरकरार रखा।

'ब्लड मनी' और अंतिम प्रयास

  • मानवीय कानून (शरिया) के तहत मृतक के परिवार द्वारा माफ़ी देने पर नर्स की सजा टाली जा सकती है।

  • उनके प्रतिनिधि सैमुअल जेरोम, जो पिछले 20 वर्षों से यमन में रह रहे हैं, मृतक के परिजनों से मुआवंसे (blood money) पर वार्ता कर रहे हैं।

  • प्रस्तावित राशि लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर (₹8.5 करोड़) है, लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बनी है ।

भारत सरकार की भूमिका

  • MEA (विदेश मंत्रालय) ने कहा है कि वह "संभव हर मदद" कर रहा है और यमन की संबंधित संस्थाओं से लगातार संपर्क बनाए हुए है।

  • लोकतांत्रिक सामाजिक आवाज़ें, जैसे CPM सांसद के. राधाकृष्णन, ने प्रधानमंत्री मोदी को हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है।

  • सरकारी प्रयासों में भारतीय दूतावास (रीयाध/अन्य जगह) और स्थानीय सशक्त समूह भी शामिल हैं।

व्यक्तिगत पहलू और मानवीय संकट

  • निमिषा मूलरूप से केरल की रहने वाली हैं। उन्होंने 2008 में नौकरी के लिए यमन जाना शुरू किया और 2015 में एक मेडिकल क्लिनिक शुरू किया।

  • उनकी एक 13 वर्षीय बेटी है, जो फिलहाल भारत में है।

  • उनके खिलाफ आरोप है कि व्यावसायिक तनाव और दुर्व्यवहार के कारण उन्हें नशीले इंजेक्शन देने पड़े — जो अक्सर महिला शोषण और मानसिक दबाव जैसी भावना उत्पन्न करते हैं ।

आगे की स्थिति

  • 16 जुलाई तक मौजूदा कानूनी प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी।

  • अगर मृतक का परिवार मुआवजा स्वीकार कर लेता है, तो निमिषा की फांसी टल सकती है।

  • भारत सरकार, मानवाधिकार समूह और निजी प्रतिनिधियों की कोशिशें इसी उम्मीद पर केंद्रित हैं।


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Content Writer

Pardeep

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