World Diplomacy: अमेरिका में सत्ता परिवर्तन से पहले बदले जेलेंस्की के सुर, पहली बार दिए रूस से शांति वार्ता के दिए संकेत

punjabkesari.in Monday, Jul 22, 2024 - 11:43 AM (IST)

 कीव: रूस और यूक्रेन में 878 दिनों से चल रहे युद्ध के बीच  अमेरिका (USA) में सत्ता परिवर्तन से पहले  यूक्रेनी राष्ट्रपति (Ukrainian President)  वोलोदिमिर जेलेंस्की (Volodymyr Zelensky) के सुर  बदले नजर आ रहे हैं। जेलेंस्की ने  पहली बार अब रूस से बातचीत की इच्छा व  शांति वार्ता  का संकेत दिया है। राष्ट्र को संबोधित करते हुए असामान्य रूप से नरम स्वर में उन्होंने यह इच्छा जताई। जेलेंस्की ने सुझाव दिया कि रूस को अगले शांति शिखर सम्मेलन में प्रतिनिधिमंडल भेजना चाहिए। जेलेंस्की ने कहा, अगला शांति शिखर सम्मेलन नवंबर में आयोजित हो सकता है। गौरतलब है कि नवंबर माह में ही अमरीका में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव होने जा रहे हैं।

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जेलेंस्की के रुख में यह बदलाव कितना अहम है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जून महीने में स्विट्जरलैंड में हुए आयोजित शांति सम्मेलन में रूस को आमंत्रित नहीं किया गया था, जिसमें दुनिया भर से भारत समेत 100 देश शामिल हुए थे। आमंत्रित होने के बाद भी चीन इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुआ था। अब तक, जेलेंस्की यह कहते रहे हैं कि कि कोई भी बातचीत रूसी सेना की यूक्रेन से पूरी तरह वापसी पर ही हो सकती है। जेलेंस्की ने कहा कि, हर चीज हम पर निर्भर नहीं करती। युद्ध का अंत केवल हम पर निर्भर नहीं है। यह न केवल हमारे लोगों और हमारी इच्छा पर निर्भर करता है, बल्कि आर्थिक हालात, हथियारों की आपूर्ति और यूरोपीय संघ, नाटो व दुनिया के अन्य देशों के राजनीतिक समर्थन पर निर्भर करता है।

 

पांच मजबूरियां के चलते बदले जेलेंस्की के तेवर

 

  1. स्विट्जरलैंड में निराशाजनक शांति सम्मेलन: कीव की पहल पर स्विट्जरलैंड में हुए पहले शांति शिखर सम्मेलन में यूक्रेन को अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। शामिल 100 देशों में से 80 ने ही सम्मेलन की घोषणा पर हस्ताक्षर किए। इस घोषणा में यह तक नहीं कहा गया था कि रूस को तत्काल आक्रमण रोकना चाहिए। भारत ने इस घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।
     
  2. जर्मनी ने आधी की यूक्रेन की मदद राशिः जर्मनी ने घोषणा आर्थिक दिक्कतों के चलते यूक्रेन की मदद आधी करेगा। जर्मनी ने कहा किनाटो बैठक में लिए गए फैसले के अनुसार, यूक्रेन रूस की जब्त की गई संपत्ति से 60 अरब डॉलर जुटा सकेगा। जानकारों के अनुसार, यूक्रेन के लिए यह आसान नहीं होगा।
     
  3. PM Modi  की मास्को यात्रा से रूस को झटकाः तमाम प्रयासों के बाद भी नाटो और पश्चिमी देशों को अलग-थलग करने के प्रयासों को सफलता नहीं मिली है। इसका सबसे बड़ा संकेत तब मिला जब सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत के पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस की यात्रा की।
     
  4. ट्रंप की वापसी के आसार : हंगरी के पीएम विक्टर ओर्बन ने हाल में कीव यात्रा के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बात की थी। ओर्बन ने अमरीका में ट्रंप से मुलाकात के बाद कहा था कि जीतने पर ट्रंप युद्ध में मध्यस्थता को तैयार हैं।
     
  5. यूक्रेनी सेना को नहीं मिल रही सफलता: युद्ध के मोर्चे पर यूक्रेन की मुश्किलें बढ़ रही हैं। अग्रिम पंक्ति पर यूक्रेनी सेना आगे नहीं बढ़ पा रही है। आशंका है कि अगर ट्रंप चुनाव जीते तो करीबी सहयोगी अमरीका से भी यूक्रेन को समर्थन नहीं मिलेगा।

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Content Writer

Tanuja

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