विदेशी छात्रों को राहत: अमेरिकी जज ने हार्वर्ड के खिलाफ ट्रंप सरकार की कार्रवाई पर लगाई रोक

punjabkesari.in Friday, May 23, 2025 - 10:57 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः एक अमेरिकी जज ने शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की विदेशी छात्रों को दाखिला देने की मान्यता खत्म की जा रही थी। इस फैसले को लेकर हार्वर्ड ने कहा था कि यह अमेरिका के संविधान और कई संघीय कानूनों का खुला उल्लंघन है, और इससे यूनिवर्सिटी के 7,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर बुरा असर पड़ेगा।

क्या था मामला?

अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी सेक्रेटरी क्रिस्टी नोएम ने यह निर्णय लिया था कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का Student and Exchange Visitor Program सर्टिफिकेशन 2025-26 के शैक्षणिक सत्र से खत्म कर दिया जाएगा। इसका कारण यह बताया गया कि हार्वर्ड ने “हिंसा को बढ़ावा दिया”, “यहूदी विरोधी माहौल बनने दिया” और “चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ संबंध बनाए।”

होमलैंड सिक्योरिटी ने यूनिवर्सिटी से यह भी मांग की थी कि 72 घंटे के भीतर पिछले पांच सालों के दौरान अंतरराष्ट्रीय छात्रों की गतिविधियों से जुड़े दस्तावेज, वीडियो और ऑडियो क्लिप जमा कराए जाएं, जिनमें विरोध प्रदर्शन भी शामिल हैं।

हार्वर्ड की प्रतिक्रिया

हार्वर्ड ने बोस्टन की संघीय अदालत में इस फैसले के खिलाफ मुकदमा दायर किया और कहा कि यह कदम न केवल असंवैधानिक है बल्कि यूनिवर्सिटी की स्वतंत्रता पर हमला है। यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष एलन गर्बर ने कहा: "यह फैसला सरकार की उस लगातार कोशिश का हिस्सा है, जिससे वह हार्वर्ड को उसकी अकादमिक स्वतंत्रता छोड़ने पर मजबूर कर रही है। हम सरकार के अवैध दखल को नहीं मानेंगे।"

हार्वर्ड ने यह भी बताया कि उसके कुल छात्रों में से लगभग 27% विदेशी छात्र हैं और उनके बिना यूनिवर्सिटी अधूरी है। यूनिवर्सिटी ने कहा कि अचानक से विदेशी छात्रों के दाखिले रद्द करना हजारों परिवारों और रिसर्च प्रोजेक्ट्स पर कहर ढा देगा।

कोर्ट का फैसला

जज एलिसन बरोस, जो ओबामा प्रशासन की नियुक्ति हैं, ने हार्वर्ड के पक्ष में अस्थायी राहत देते हुए आदेश जारी किया कि सरकार तब तक इस फैसले पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती, जब तक अदालत में मामला पूरी तरह से नहीं सुलझ जाता।

ट्रंप प्रशासन का रुख

व्हाइट हाउस की प्रवक्ता अबीगेल जैक्सन ने हार्वर्ड पर तीखा हमला बोलते हुए कहा: "अगर हार्वर्ड यहूदी-विरोधी और अमेरिका विरोधी ताकतों को रोकने में इतनी ही गंभीरता दिखाती, तो आज यह स्थिति नहीं होती।"

ट्रंप प्रशासन पहले भी हार्वर्ड को तीन अरब डॉलर की सरकारी ग्रांट रोकने, यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में बदलाव कराने, और विदेशी छात्रों को निर्वासित करने की कोशिश कर चुका है, खासकर उन छात्रों को जो प्रोपलस्तीन विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए थे।

देशभर में असर

इस मुद्दे को लेकर अन्य यूनिवर्सिटीज, लॉ फर्म्स और कानूनी संस्थाओं ने भी ट्रंप प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। अमेरिका के चीफ जस्टिस जॉन रॉबर्ट्स ने साफ कहा कि जजों को उनके फैसलों के कारण इम्पीच करना लोकतंत्र के खिलाफ है।


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Content Writer

Pardeep

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