Trump Tariffs : अमेरिका में महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी, टैरिफ नीति से महंगे हुए सामान, आर्थिक संकट की आशंका

punjabkesari.in Friday, Sep 12, 2025 - 04:58 PM (IST)

इंटरनैशनल डैस्क : अमेरिका में महंगाई और बेरोजगारी के हालिया आंकड़ों से देश की आर्थिक स्थिति चिंताजनक होती जा रही है। पिछले कुछ महीनों में महंगाई दर तेजी से बढ़ी है और बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह रफ्तार इसी तरह जारी रही, तो अमेरिका में आर्थिक मंदी की स्थिति बन सकती है।

महंगाई दर पिछले साल के मुकाबले 2.9% बढ़ी

अगस्त 2025 में अमेरिका की महंगाई दर पिछले साल के मुकाबले 2.9% बढ़ी है, जो जुलाई की 2.7% से ज्यादा है। यह जनवरी के बाद सबसे तेज बढ़ोतरी है। खास बात यह है कि फूड और ऊर्जा को छोड़कर महंगाई की दर 3.1% बनी हुई है, जो अमेरिकी केंद्रीय बैंक की सीमा से ऊपर है। महंगाई को कम करने के लिए अमेरिका ने कई बार ब्याज दर में कटौती की, लेकिन इसके बावजूद महंगाई नियंत्रण से बाहर हो रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका के टैरिफ नीति की वजह से विदेशी सामान महंगे हो गए हैं, जिससे आम लोगों पर ज्यादा बोझ पड़ रहा है।

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आम जरूरत की चीजों में बढ़ोतरी

यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स के अनुसार, अगस्त 2025 में ग्रॉसरी (किराना) की कीमतें जुलाई की तुलना में 0.6% बढ़ीं, और सालाना तौर पर 2.4% ज्यादा हैं। अनुमान है कि 2025 में किराने की कीमतें करीब 3.3% तक बढ़ सकती हैं, जिसमें बीफ और अंडे सबसे ज्यादा महंगे होंगे। कॉफी की कीमत में 21% और बीफ स्टेक की कीमत में 17% की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही पेट्रोल की कीमतों में जुलाई से 1.9% की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में हर महीने एक परिवार का खर्च करीब 900 डॉलर (लगभग 75,000 रुपये) होता है, जो और बढ़ सकता है।

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बेरोजगारी में वृद्धि

अमेरिका के श्रम विभाग की रिपोर्ट बताती है कि बेरोजगारी दर अगस्त 2025 में 4.3% हो गई है, जो 2021 के बाद सबसे अधिक है। सालाना आधार पर यह 0.3 से 0.4% बढ़ी है। इसके अलावा, इस साल पहली बार नौकरियों की संख्या 13,000 कम हुई है, जो नौकरी में कटौती का संकेत है।

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टैरिफ नीति के असर

टैरिफ के कारण अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है। 2025 में GDP वृद्धि दर 2.8% से घटकर 1.4% रह गई है। टैरिफ से औसत अमेरिकी परिवार को सालाना लगभग $1,300 (लगभग 1.09 लाख रुपये) अतिरिक्त खर्च करना पड़ सकता है क्योंकि आयातित सामान महंगे हो गए हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेतावनी दी है कि यह नीति वैश्विक आर्थिक विकास को भी धीमा कर सकती है।


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News Editor

Rahul Singh

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