9 जून को लंदन में होगी अमेरिका और चीन के बीच व्यापार वार्ता, ट्रंप ने किया ऐलान

punjabkesari.in Saturday, Jun 07, 2025 - 05:52 AM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार को घोषणा की कि अमेरिका और चीन के बीच चल रही व्यापार बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए 9 जून, 2025 को लंदन में एक अहम बैठक होगी। इस बैठक में अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई तीन वरिष्ठ अधिकारी,वित्त सचिव स्कॉट बेसेन्ट, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक और यूएस ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (व्यापार प्रतिनिधि) एंबेसडर जैमीसन ग्रीयर करेंगे।
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ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए कहा, “मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि हमारे देश के तीन शीर्ष अधिकारी – वित्त सचिव स्कॉट बेसेन्ट, वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लटनिक और व्यापार प्रतिनिधि एंबेसडर जैमीसन ग्रीयर – सोमवार, 9 जून को लंदन में चीनी प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य व्यापार समझौते पर बातचीत को आगे बढ़ाना है। यह बैठक अच्छी रहने की उम्मीद है। धन्यवाद!”

क्यों है यह बैठक अहम?

यह वार्ता ऐसे समय पर हो रही है जब अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ (आयात शुल्क) और रेयर अर्थ खनिजों की वैश्विक सप्लाई को लेकर तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध की आशंका को देखते हुए यह बातचीत काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

इस बैठक की पृष्ठभूमि में एक महत्वपूर्ण टेलीफोनिक बातचीत भी हुई है, जो गुरुवार को डोनाल्ड ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई थी। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि उन्हें व्यापार से जुड़े मुद्दों को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए, ताकि किसी तरह के बड़े आर्थिक टकराव से बचा जा सके।

प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन हैं?

  1. स्कॉट बेसेन्ट – अमेरिका के नए वित्त सचिव, जो आर्थिक नीतियों और बजट मामलों के विशेषज्ञ माने जाते हैं।

  2. हॉवर्ड लटनिक – वर्तमान वाणिज्य सचिव, जो अमेरिकी कारोबारियों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर गहरी पकड़ रखते हैं।

  3. जैमीसन ग्रीयर – अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि, जो पहले भी कई अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।

क्या उम्मीद की जा रही है?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैठक अमेरिका-चीन के व्यापारिक रिश्तों में नया मोड़ ला सकती है। अगर दोनों पक्ष किसी व्यापार समझौते पर सहमत होते हैं, तो इससे न केवल दोनों देशों को फायदा होगा बल्कि वैश्विक बाजारों में भी स्थिरता लौट सकती है।


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Content Writer

Pardeep

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