8 महीने बाद इस माह दूसरी मुलाकात करेंगे ट्रंप-किम, स्थान और वक्त का किया ऐलान

punjabkesari.in Wednesday, Feb 06, 2019 - 11:43 AM (IST)

वॉशिंगटनः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सनकी किम जोंग की 8 माह बाद होने वाली दूसरी मुलाकात का स्थान और वक्त तय हो गया है।स्टेट ऑफ द यूनियन स्पीच में ट्रंप ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि वह किम जोंग उन से 27-28 फरवरी को वियतनाम में मिलेंगे। इससे पहले दोनों नेता 12 जून को सिंगापुर में मिले थे। उस दौरान दोनों नेताओं के बीच 90 मिनट बातचीत हुई थी।
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ट्रंप ने कहा कि उत्तर कोरिया के मसले पर अभी भी काफी काम बचा हुआ लेकिन किम के साथ उनके रिश्ते अच्छे रहे हैं। हालांकि ट्रंप ने उत्तर कोरिया को चेतावनी भी दे डाली। उन्होंने कहा कि अगर मैं अमेरिका का राष्ट्रपति नहीं चुना गया तो आने वाले वक्त में उत्तर कोरिया के साथ जंग हो सकती है। ट्रंप-किम की वियतनाम में मुलाकात कहां होगी, यह फिलहाल तय नहीं है। वियतनाम की राजधानी हनोई और तटीय शहर दा नांग के नाम पर चर्चा हो रही है। रॉयटर्स न्यूज एजेंसी के मुताबिक- बुधवार को अमेरिका की तरफ से शीर्ष वार्ताकार स्टीफन बीगन और उत्तर कोरिया के किम ह्योक चोल से मुलाकात करेंगे। बता दें कि जून में सिंगापुर के सेंटोसा द्वीप के कापेला होटल में दोनों नेताओं की मुलाकात करीब 90 मिनट चली। इसमें 38 मिनट की निजी बातचीत भी शामिल थी।
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इसमें ट्रंप ने किम को पूर्ण परमाणु निरस्त्रीकरण के लिए राजी कर लिया था। इसके लिए दोनों नेताओं ने एक करार पर दस्तखत किए थे। गौरतलब है कि ट्रंप अमेरिका के 12वें ऐसे राष्ट्रपति हैं जिन्हें उत्तर कोरिया के साथ विवाद दूरे करने में कामयाबी मिली। अमेरिका उत्तर कोरिया के साथ विवाद को खत्म करने के लिए 65 साल से कोशिश कर रहा था। इस दौरान अमेरिका के 11 राष्ट्रपति (आइजनहॉवर से लेकर जॉन एफ केनेडी, लिंडन जॉनसन, रिचर्ड निक्सन, गेराल्ड फोर्ड, जिमी कार्टर, रोनाल्ड रीगन, जॉर्ज एचडब्ल्यू बुश, बिल क्लिंटन, जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बराक ओबामा) उत्तर कोरिया के साथ कोई हल निकालने में नाकाम रहे थे।
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1953 में दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच तीन साल चली जंग खत्म हुई थी। इसमें 9 लाख सैनिकों समेत 25 लाख लोग मारे गए थे। इसके बाद से उत्तर कोरिया और अमेरिका में बातचीत बंद थी। 1954 में जेनेवा कॉन्फ्रेंस में रूस (तब सोवियत संघ), चीन, अमेरिका, यूके और फ्रांस कोरिया की समस्या का हल निकालने के लिए इकट्ठा हुए। उस वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति आइजनहॉवर थे। मीटिंग में अमेरिकी विदेश मंत्री रहे जॉन फॉस्टर डलेस का अड़ियल रुख रहा। उन्होंने चीन के साथ सीधे बात करने से मना कर दिया जिसके चलते कोई नतीजा नहीं निकल पाया था।


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Tanuja

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