यूक्रेन युद्ध पर रूस को दी डेडलाइन को बचा एक दिन, पुतिन को धमकियां देकर थके ट्रंप, मॉस्को भेजा विशेष दूत
punjabkesari.in Wednesday, Aug 06, 2025 - 04:01 PM (IST)

International Desk: रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर एक बार फिर कूटनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ने बुधवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मॉस्को में अहम मुलाकात की। यह मुलाकात ऐसे समय हुई है जब व्हाइट हाउस ने रूस को यूक्रेन के साथ शांति समझौता करने के लिए एक अंतिम समयसीमा (डेडलाइन) दी है, जो इस शुक्रवार को समाप्त हो रही है।अमेरिका ने रूस पर दबाव बनाते हुए कहा है कि यदि वह निर्धारित समय सीमा के भीतर यूक्रेन के साथ कोई शांति समझौता नहीं करता, तो उसे गंभीर आर्थिक प्रतिबंधों (Economic Sanctions) का सामना करना पड़ेगा।
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इन प्रतिबंधों का प्रभाव तेल खरीदने वाले देशों विशेष रूप से भारत, चीन और यूरोपीय देशों पर भी पड़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन के नागरिक इलाकों पर रूस के हमलों में हाल के सप्ताहों में तेज़ी आई है, जिससे ट्रंप प्रशासन नाराज़ है। हालांकि ट्रंप ने पिछली बातचीतों में पुतिन के साथ नरम रुख अपनाने की कोशिश की थी और युद्ध विराम की वकालत की थी। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य पुतिन को यह समझाना बताया जा रहा है कि अमेरिका अब और आक्रामक रुख सहन नहीं करेगा और तीव्र आर्थिक दंड तय है यदि वार्ता विफल होती है।
बैठक के संभावित परिणाम
- यदि रूस समझौते के संकेत देता है, तो यह पश्चिमी देशों के लिए बड़ी कूटनीतिक जीत होगी।
- लेकिन अगर रूस ने समयसीमा के बाद भी हमले जारी रखे, तो अमेरिका रूसी बैंकों, तेल कंपनियों, और व्यापारिक संस्थानों पर भारी प्रतिबंध लगा सकता है।
- रूस से तेल आयात करने वाले देशों पर भी अप्रत्यक्ष दबाव बना सकता है।
- भारत व चीन जैसे देशों को विकल्प तलाशने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
यह मुलाकात दर्शाती है कि ट्रंप प्रशासन रूस पर सख्ती और नरमी दोनों रणनीतियों को एक साथ आजमा रहा है। अमेरिका के अंदर भी ट्रंप पर यह दबाव है कि वे रूस-यूक्रेन युद्ध को शीघ्रता से सुलझाएं, ताकि चुनाव से पहले विदेश नीति में बड़ी सफलता दिखाई जा सके।