जेतली से मुलाकात के लिए अचानक पहुंची थेरेसा मे, अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

punjabkesari.in Wednesday, Mar 01, 2017 - 10:05 AM (IST)

लंदन: ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे वित्त मंत्री अरूण जेतली और ब्रिटेन के उनके समकक्ष के बीच बैठक में अचानक पहुंच गई। इस दौरान बैठक में ‘ब्रिटेन में कुछ लोगों के निर्धारित समय से अधिक ठहरने’ का मुद्दा उठा। जेतली ने ब्रिटेन के वित्त मंत्री फिलिप हामांड से लंदन में उनके 11 डाउनिंग स्ट्रीट स्थित कार्यालय में मुलाकात की।  दोनों वित्त मंत्रियों की बैठक में ब्रिटेन की प्रधानमंत्री के अचानक पहुंचने को ब्रिटेन की आेर से भारत के प्रति ‘गर्मजोशी के संकेत’ और भारत के साथ रिश्तों में सुधार पर मजबूती के साथ ध्यान दिए जाने के तौर पर बताया गया।

विभिन्न मुद्दों पर हुई चर्चा
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि ब्रेक्जिट और भारत-ब्रिटेन संबंधों पर उसके प्रभाव तथा ‘कुछ लोगों के निर्धारित समय से अधिक ठहरने पर ब्रिटेन में उनका स्वागत’ होने जैसे मुद्दे बैठक में उठे। यह मुद्दा स्पष्ट रूप से शराब कारोबारी विजय माल्या के संदर्भ में रहा है। बैंकों द्वारा किंगफिशर एयरलाइंस से 1.4 अरब डॉलर की वसूली की जानी है। इस संबंध में मुकदमे के बाद बंद पड़ी एयरलाइंस के प्रमुख पिछले साल मार्च में ब्रिटेन चले गए थे। इस महीने की शुरूआत में भारत सरकार ने औपचारिक रूप से ब्रिटेन को माल्या के प्रत्यार्वतन के लिए अनुरोध किया ताकि उनके खिलाफ समय पर कर्ज का भुगतान नहीं करने पर डिफाल्टर का मुकदमा चल सके। हामांड के साथ बातचीत के दौरान जेतली ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की।

मंत्रियों के समक्ष उठा सकते हैं माल्या का मामला
इससे पहले, दिन में मंत्री ने ब्रिटेन के निवेशकों के साथ बैठकें की। इसका आयोजन जेपी मोर्गन ने किया। जेतली ने कहा कि भारत बैंकों का कर्ज लेकर उसे नहीं चुकाने वालों के मामले को बड़ा गंभीर मामला मानता है। उनके इस बयान का यही संकेत माना गया कि जेतली ब्रिटेन के मंत्रियों के साथ बातचीत में शराब व्यवसायी विजय माल्या का मुद्दा उठा सकते हैं। उनसे यहां संवाददाताओं ने पूछा था कि क्या वह भारत में कर्ज न चुका कर ब्रिटेन में बैठे व्यक्तियों का मसला यहां के मंत्रियों के साथ अपनी बातचीत में उठाएंगे। जवाब में वित्त मंत्री ने कहा, ‘निश्चि रूप से। जब मौका मिलता है तो मैं यहां अपने समकक्ष लोगों के सामने यह बात उठाता हूं।’  जेतली ने कहा, ‘‘भारत सरकार का जहां तक सवाल है तो हम अपनी वित्तीय प्रणाली के प्रति देनदारी पूरी नहीं करने के मामले को बहुत गंभीर मानते हैं।


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