बांग्लादेश को लेकर आतंकी हाफिज सईद के संगठन का बड़ा दावा- ''1971 का लिया बदला, शेख हसीना को सत्ता से हटाया''

punjabkesari.in Saturday, May 31, 2025 - 09:55 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के प्रतिबंधित संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के कुछ प्रमुख नेताओं ने हाल ही में बांग्लादेश में 2024 में हुए बड़े पैमाने पर सरकार विरोधी प्रदर्शनों में अपनी कथित भूमिका का दावा किया है। इन प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा था।

जेयूडी नेताओं के भड़काऊ बयान

जेयूडी के वरिष्ठ सदस्य सैफुल्लाह कसूरी और संयुक्त राष्ट्र द्वारा आतंकवादी घोषित मुजम्मिल हाशमी ने इस सप्ताह की शुरुआत में अपने तकरीरों में इन घटनाओं को लेकर विवादित बयान दिए। कसूरी ने लाहौर से लगभग 400 किलोमीटर दूर रहीम यार खान के इलाहाबाद में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए दावा किया कि उन्होंने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम का बदला लिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मुदस्सर नामक जेयूडी सदस्य के शव के परखच्चे भारतीय हवाई हमले में उड़ गए थे, और उन्होंने इस हमले को भारतीय कार्रवाई के जवाब में बताया।

मुजम्मिल हाशमी ने गुजरांवाला में एक तकरीर में दावा किया कि जेयूडी ने पिछले साल बांग्लादेश में हुए प्रदर्शनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके कारण शेख हसीना को पद छोड़ना पड़ा। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में हुए प्रदर्शनों ने प्रधानमंत्री को अपदस्थ करने में मदद की।

बांग्लादेश में जुलाई क्रांति और शेख हसीना का इस्तीफा

बांग्लादेश में 2024 में "जुलाई क्रांति" के नाम से जानी जाने वाली एक बड़ी सरकार विरोधी आंदोलन ने शेख हसीना की सरकार को संकट में डाल दिया। यह आंदोलन शुरू में सरकारी नौकरी में कोटा प्रणाली में सुधार की मांग से शुरू हुआ था, लेकिन बाद में यह व्यापक सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गया। इन प्रदर्शनों के दौरान पुलिस द्वारा की गई हिंसा के कारण सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। अंततः, 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना ने पद से इस्तीफा दे दिया और भारत चली गईं, जिसके बाद अंतरिम सरकार के रूप में मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार नियुक्त किया गया।

पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय चिंता

पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक हुसैन हक्कानी ने जेयूडी नेताओं के बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ऐसे भड़काऊ बयान अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह विश्वास करना मुश्किल बना देते हैं कि पाकिस्तान अब आतंकवादी समूहों को प्रायोजित या बर्दाश्त नहीं कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि सार्वजनिक रैलियों में जिहादी चरमपंथियों की बयानबाजी से पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुँचता है।

यह घटनाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच बढ़ते तनाव और क्षेत्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव डाल सकती हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति पर ध्यान देने और उचित कदम उठाने की आवश्यकता है।


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Content Writer

Pardeep

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