चीन के हालात भयावह ! खीरा खाने पर लग रहा जुर्माना, भूखे मर रहे जानवर
punjabkesari.in Monday, Sep 25, 2023 - 06:16 PM (IST)

बीजिंगः दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति चीन के कई शहरों में भयानक मंदी और नकदी संकट से जूझ रहा है। हालात इतने खराब हैं कि इसका असर अब जानवरों पर भी देखने को मिल रहा है और लोगों पर जुर्माना लगाया जा रहा है। कोविड महामारी के दौर में जीरो कोविड पॉलिसी की वजह से चीन की आर्थिक व्यवस्था चरमरा गई है। सबसे खराब हालत रियल एस्टेट की है, जहां मंदी छाई हुई है। चीन में शी जिनपिंग सरकार लगातार तीसरी बार सत्ता आए तो उन्होंने जनता से मूलभूत आर्थिक ढांचे में सुधार और पब्लिक सेक्टर को मज़बूत बनाने और गैर सरकारी क्षेत्र की भी मदद करने का वादा किया था लेकिन हालात कुछ अलग कहानी बयां करते दिख रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नकदी संकट से जूझ रहे चीन में लोगों पर भारी भरकम जुर्माना लगाया जा रहा है। ऐसा कर चीन सरकार किसी तरह नकदी संग्रह करना चाहती है। आलम यह है कि रेस्टोरेंट में बिना लाइसेंस के खीरा परोसने पर भारी भरकम राशि का जुर्माना वसूला जा रहा है। इसके अलावा सड़कों पर ओवरलोड ट्रकों पर भी भारी-भरकम जुर्माना लगाया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के उत्तरी प्रांत लियाओनिंग के डोंगशान पार्क में नकदी संकट की वजह से जानवरों को खाना तक नहीं मिल पा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सरकारी फंड से चलने वाले इस चिड़ियाघर को जिनपिंग सरकार ने पैसे देना बंद कर दिया है। पिछले छह महीने से कर्मचारियों को सैलरी तक नहीं दी जा रही है। जानवरों के भोजन में भी 50 फीसदी तक की कटौती कर दी गई है। आलम ये है कि लोगों से भूख से छटपटा रहे जानवरों की मदद के लिए भोजन और पैसे दान करने की अपील की जा रही है। जानवरों के सामने खाने के संकट को देखते हुए लोग सोशल मीडिया पर मदद मांग रहे हैं।
एक चीनी वन्यजीव संरक्षण समूह ने सोशल मीडिया पर जारी अपील में कहा, ‘पार्क में अभी भी भालू के बच्चे हैं जिन्हें भोजन की जरूरत हैं। गर्भवती घोड़ी का भोजन भी आधा कर दिया गया है, और चिड़ियाघर के कर्मचारियों छह महीने से भुगतान नहीं किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, निशुल्क चिड़ियाघर में छह काले भालू, तीन सिका हिरण, 10 अल्पाका और सैकड़ों बंदर और पक्षी हैं। इसकी दुर्दशा कई चीनी शहर और प्रांतीय सरकारों के सामने आने वाले वित्तीय संकट का एक नमूना है, जिन्हें खर्च में कटौती करनी पड़ रही है।