टेक्‍नोवेशन अबू धाबी में इनोवेशन से स्मोक-फ्री फ्यूचर का लक्ष्य पाने की दर पर जोर डाला गया

punjabkesari.in Saturday, Dec 28, 2024 - 09:28 AM (IST)

भारत : फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल (पीएमआई) ने हाल ही में अबू धाबी में अपने 10वें टेक्‍नोवेशन का आयोजन किया। इस सम्‍मेलन में इनोवेशन, टेक्‍नोलॉजी और विज्ञान द्वारा धूम्रपान (स्‍मोकिंग) की दरों को तेजी से कम करने में निभाई जाने वाली महत्‍वपूर्ण भूमिका पर फोकस किया गया। यदि ऐसा होगा, तो सभी का भविष्‍य बेहतर बनेगा। पीएमआई के एक्‍जीक्‍यूटिव्‍स ने बताया कि नो-कम्‍बस्‍टन टेक्‍नोलॉजी के जरिये पारंपरिक तंबाकू की तुलना में कम नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन किये गये विकल्‍पों तक पहुंच होने से स्मोक-फ्री फ्यूचर को पाने में मदद मिलेगी।  


आयोजन में बात करते हुए, फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल के सीईओ यासिक ओल्ज़ाक ने कहा, ‘‘सिगरेट के विकल्‍पों को प्रतिबंधित करना ‘समय की बर्बादी’ है, क्‍योंकि इसके प्रमाण हमारे सामने हैं कि उत्‍पाद के विभिन्‍न प्रारूप इस समस्‍या को तेजी से दूर करने में मददगार होते हैं। सिगरेट की बिक्री को जारी रखते हुए, लोगों को कम हानिकारक विकल्‍पों से वंचित रखना लगभग अनैतिक है। दुनिया के 1 बिलियन स्‍मोकर्स को सूचना का अधिकार होना चाहिये और यह भी कि वे कम हानिकारक विकल्‍प चुन सकें। ऐसे विकल्‍पों को अपनाने वाले देशों, जैसे कि उदाहरण के लिये जापान में पिछले 10 वर्षों में सिगरेट पीने में 45% से भी ज्‍यादा कमी आई है। अब से 10 वर्ष बाद जापान धूम्रपान से मुक्‍त होगा, जबकि भारत में ज्‍यादा स्‍मोकर्स होंगे। भारत तेजी से धू्म्रपान छोड़ने का मौका गंवा देगा और इसका कारण होगा विज्ञान पर आधारित नीतियों को नहीं अपनाना।’’ 

उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए, फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल में कॉमनवेल्‍थ ऑफ इंडिपेंडेन्‍ट स्‍टेट्स एण्‍ड मिडिल ईस्‍ट एण्‍ड अफ्रीका रीजन के साउथ एण्‍ड साउथईस्‍ट एशिया प्रेसिडेंट फ्रेड डे विल्‍डे ने कहा, ‘‘अपनी युवा और बढ़ती आबादी के साथ ग्‍लोबल साउथ का भविष्‍य को आकार देने में बड़ा योगदान रहेगा। डब्‍ल्‍यूएचओ के अनुसार, दुनिया के 1 बिलियन स्‍मोकर्स में से 80% उभरते देशों में रहते हैं। धुएं से मुक्‍त भविष्‍य की ओर बढ़ने में तेजी लाने और पारंपरिक तंबाकू के इस्‍तेमाल से होने वाला नुकसान कम करने के लिये हम इन क्षेत्रों में सिगरेट पीने के कम हानिकारक विकल्‍पों को किफायती एवं सुलभ बनाकर उन्‍हें उपभोक्‍ताओं की पसंद के मुताबिक बनाना चाहते हैं। जून 2024 तक 27 देशों के लगभग 6.1 मिलियन लोगों ने कम हानिकारक विकल्‍पों को अपना लिया था। हालांकि यह सिर्फ शुरूआत है, क्‍योंकि दुनिया के वैध आयु वाले आधे से ज्‍यादा निकोटिन कंज्‍यूमर इन क्षेत्रों में रहते हैं।’’

धुएं से मुक्‍त दुनिया की कल्‍पना बताते हुए, फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल में ग्‍लोबल कम्‍युनिकेशंस के वाइस प्रेसिडेंट तोमासो डी जियोवन्‍नी ने कहा, ‘‘पीएमआई जल्‍दी से जल्‍दी सिगरेट की जगह कम हानिकारक विकल्‍पों को देना चाहती है। यह विकल्‍प सिगरेट की तुलना में वैज्ञानिक आधार पर ज्‍यादा सुरक्षित प्रमाणित हुए हैं। यह पूरी तरह से जोखिम से मुक्‍त नहीं हैं, लेकिन सिगरेट के मुकाबले हानिकारक रसायनों से संपर्क में आना काफी कम कर सकते हैं। हमारा  मानना है कि अगर आप धू्म्रपान नहीं करते हैं, तो शुरू भी मत कीजिये। अगर आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ दीजिये। अगर आप धूम्रपान छोड़ नहीं सकते हैं, तो फिर कम हानिकारक विकल्‍पों को अपनाइये।’’

पीएमआई ने अपने कुछ कम हानिकारक विकल्‍प पेश किये, जिनमें कम्‍बस्‍टन नहीं होता है। कंपनी ने दिखाया कि जलती सिगरेट से निकलने वाले धुएं में हानिकारक रसायनों का उच्‍च स्‍तर किस तरह धूम्रपान से सम्‍बंधित बीमारियों का प्रमुख कारण बनता है।


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News Editor

Deepender Thakur

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