नई अफगान सरकार पर भड़का तजाकिस्तान; तालिबान को दी चेतावनी, पाक पर साधा निशान

punjabkesari.in Monday, Sep 13, 2021 - 12:06 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः अफगानिस्तान में तालिबान सरकार अपने अफने पहले ही दावे पर खरी नहीं उतरी है। तालिबान ने अफगान पर कब्जे के बाद अपनी पहली प्रैस कांफ्रैंस में महिलाओं को समान अधिकारों और भेदभाव न करने की बात की थी लेकिन तालिबान ने अपनी नई सरकार  में जिस तरह से अल्पसंख्यक समुदायों को नजरअंदाज किया है उससे पड़ोसी तजाकिस्तान नाराज हो गया है। मध्य एशिया में भारत का रणनीतिक सहयोगी और अफगानिस्तान के पड़ोसियों में से एक ताजिकिस्तान ने काबुल में तालिबान सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। 

 

तजाकिस्तान की आपत्ति इस बात को लेकर है कि यह तो केवल पश्तुनों की सरकार है, इसमें न तो ताजिक समुदाय को उचित भागीदारी मिली है और न तो हजारा को। तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमोन ने सख्त लहजे में तालिबान से सरकार में सभी अल्पसंख्यकों की भागीदारी के साथ अफगान में एक समावेशी सरकार लाने को कहा है और साथ  पाकिस्तान पर भी निशाना साधा है। पिछले दो दशक से तजाकिस्तान पर राज कर रहे रहमोन ने का मानना है कि अफगानिस्तान की राजनीतिक समस्याओं को दूर करने के लिए सभी अल्पसंख्यकों की भागीदारी के साथ एक समावेशी सरकार बनाना आवश्यक है।

 

दरअसल तालिबान ने अपनी अंतरिम सरकार में अल्पसंख्यक समुदायों को बहुत ही कम जगह दी है। अफगान में नवनियुक्त 33 मंत्रियों में से 90 फीसदी मंत्री केवल पश्तून समुदाय के हैं, जबकि हजारा समुदाय का एक भी मंत्री नहीं है। ताजिक और उज्बेक लोगों को भी पर्याप्त प्रतिनिधत्व नहीं मिला है। इसी वजह से तजाकिस्तान तालिबान पर गुस्सा है। ताजिक राष्‍ट्रपति इमोमली रहमोन ने अपने अधिकारियों से देश (तजाकिस्तान) में कट्टरपंथियों के उभार और उनकी विचारधारा को फैलाने वालों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई के लिए कहा है। इतना ही नहीं, ताजिक राष्ट्रपति ने नाम लिए बगैर पाकिस्तान पर ही हमला बोला है और कहा है कि पंजशीर घाटी में तालिबान की कब्जा करने की कोशिश को तीसरा देश (पाकिस्तान) मदद कर रहा है।

 

खबरों  के अनुसार पंजशीर में पाकिस्तान की स्पेशल फोर्सेस तालिबान की राह आसान कर रहे हैं। इतना ही हीं, तालिबान की ड्रोन से भी पाकिस्तान ने मदद की है।तजाकिस्तान तालिबान पर इसलिए लगाम कसने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उसे और उसके साथ-साथ रूस को भी डर है कि कट्टरपंथी विचारधारा का असर उनके शासित क्षेत्र में भी हो सकता है। मालूम हो कि अफगानिस्तान के साथ ताजिकिस्तान की सीमा 1,344 किलोमीटर तक फैली हुई है। इसका अधिकांश भाग पहाड़ी है, जिसकी निगरानी कठिन है।


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Content Writer

Tanuja

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