रूस-यूक्रेन जंग भड़कने का खतरा बढ़ा ! स्वीडन और नॉर्वे ने अपने नागरिकों को बांटे पर्चे -"युद्ध के लिए रहो तैयार, रोडमैप किया जारी"
punjabkesari.in Tuesday, Nov 19, 2024 - 04:58 PM (IST)
International Desk : स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड और डेनमार्क जैसे नॉर्डिक देशों ने अपने नागरिकों को संकट या युद्ध के समय में कैसे तैयारी करें, इस पर नई सलाह जारी की है। इन देशों ने बदलते वैश्विक सुरक्षा हालात, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर यह कदम उठाया है। स्वीडन में सोमवार से नागरिकों के घरों में "इन केस ऑफ क्राइसिस ऑर वॉर" नामक नई बुकलेट भेजी जा रही है।
यह पिछली बुकलेट से दोगुनी बड़ी है और इसमें युद्ध या अन्य संकट के समय तैयारी और सामना करने की विस्तृत जानकारी दी गई है। स्वीडन ने इस साल नाटो में शामिल होने के बाद यह कदम उठाया। बुकलेट का मुख्य संदेश है: "यदि स्वीडन पर हमला होता है, तो हम कभी हार नहीं मानेंगे।" इसमें 72 घंटे तक खुद को और परिवार को संभालने की सलाह दी गई है। नॉर्वे ने 2.2 मिलियन घरों में एक पर्चा भेजा है, जिसमें नागरिकों को सलाह दी गई है कि वे एक सप्ताह तक खाने-पीने और दवाइयों का प्रबंध रखें।
इसमें लंबे समय तक खराब न होने वाले खाने और आयोडीन टैबलेट्स रखने की सिफारिश की गई है। पिछले संस्करण की तुलना में इसमें जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं को भी शामिल किया गया है। फिनलैंड ने युद्ध और संकट की स्थिति के लिए एक डिजिटल गाइड जारी की है। यह गाइड बताती है कि यदि फिनलैंड पर हमला होता है, तो सरकार और राष्ट्रपति कैसे प्रतिक्रिया देंगे। इसमें पावर कट के समय सर्वाइव करने, सर्दियों के लिए तैयारी और पालतू जानवरों के खाने का भी ध्यान रखने की सलाह दी गई है। डेनमार्क ने नागरिकों को ईमेल के जरिए संकट के समय 3 दिनों के लिए जरूरी पानी, खाना और दवाइयां इकट्ठा रखने की जानकारी दी है।
इलमारी कैइखो, स्वीडिश डिफेंस यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, कहते हैं कि फिनलैंड में नागरिक युद्ध की संभावना के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, लेकिन स्वीडन में इस सोच को फिर से जगाने की जरूरत है। मेलिसा ईव, फिनलैंड की एक छात्रा, ने कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान उन्होंने सुरक्षा को लेकर ज्यादा चिंता महसूस की। स्वीडिश नागरिक इंगेमार गुस्ताफसन, ने कहा कि यह जानकारी उपयोगी है, लेकिन हर कोई इन तैयारियों को घर में रख सकेगा, यह व्यावहारिक नहीं है। इन नॉर्डिक देशों ने सुरक्षा को लेकर नागरिकों को तैयार करने के लिए यह कदम उठाया है। यह दिखाता है कि बदलते समय में आत्मनिर्भरता और जागरूकता कितनी जरूरी है।